गुजरात और उत्तराखंड सरकार द्वारा लाए जाने वाला कानून समान नागरिक संहिता अधिनियम लागू जांच समिति गठित की गई थी। जिसके बाद इस समिति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया गया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड की कमेटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की ओर से गठित की गई यूसीसी कमेटी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अगर यह कानून बनता है तो इस कानून में राज्य के सभी नागरिकों के ऊपर कानून समान रुप से लागू होगा।
जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार
मुख्य न्यायाधीश डी। वाई। चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी। एस। नरसिम्हा की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 162 का हवाला देते हुए अधिवक्ता अनूप बरनवाल की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 162 के अनुसार, कार्यकारी आदेश बताता है कि विधायिका ने इसे अनुमति दी है। इस वजह से चुनौती नहीं दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने याचिका को सुनवाई के योज्ञ नहीं मानते हुए हैरानी जताई और कहा कि इस पर सुनवाई करने का कोई आधार नहीं है।
बीजेपी राज्यों की सरकार ने जांच के लिए समिति बनाने का फैसला किया था
गुजरात की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले समान नागरिक संहिता लागू करने की संभावना की जांच के लिए समिति बनाने का फैसला किया था। इसी प्रकार उत्तराखंड सरकार ने भी पिछले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव से पहले उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति बनाने निर्णय लिया था