महाराष्ट्र में जारी सियासी लड़ाई क्या रुख लेगी इसको लेकर कुछ भी कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। लेकिन इस बीच ये सवाल उठ रहा है कि क्या शिवसेना के बागी विधायक राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) में अपने गुट का विलय कर सकते हैं? मनसे के एक नेता के दावे ने इस सवाल को जन्म दिया है।
मनसे के नेता ने कहा कि शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) प्रमुख राज ठाकरे से दो बार फोन पर बात की। शिंदे ने ठाकरे से महाराष्ट्र की हालिया राजनीतिक स्थिति के बारे में बात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली।
क्यों है बागियों की MNS में शामिल होने की संभावना
अगर शिवसेना के बागी विधायक मनसे में शामिल होते हैं तो उसका मुख्य कारण शिंदे के पास दो तिहाई, यानी 37 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है, बावजूद उनको विधानसभा में अलग पार्टी की मान्यता मिलना आसान नहीं है। अगर बागी गुट राष्ट्रपति चुनाव से पहले मसले का हल चाहता है तो उसके पास सबसे आसान रास्ता खुद का किसी दल में विलय करना है। ऐसे में एक बड़ी संभावना मनसे में शामिल होने की ही है।
बागियों की याचिका पर SC में आज सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट आज बागी नेता एकनाथ शिंदे और विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें उन्हें महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस और शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में अजय चौधरी की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ डिप्टी स्पीकर के खिलाफ भरत गोगवाली के नेतृत्व में बागी विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
शिंदे का दावा है कि उन्हें पार्टी के दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन के विरोध में शिंदे और बागी विधायकों के राज्य छोड़ने के बाद महाराष्ट्र राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। बागी विधायक पिछले कुछ दिनों से असम के गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं।
डिप्टी स्पीकर ने ठाकरे की टीम की अयोग्यता याचिका पर 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था। शिंदे का दावा है कि डिप्टी स्पीकर के कार्यों से पता चलता है कि वह महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के साथ है। शिंदे की याचिका में कहा गया है कि डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है, साथ ही चौधरी को शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता देने में डिप्टी स्पीकर की अवैध और असंवैधानिक कार्रवाई है।