पश्चिमी दिल्ली : फसलों की खूंटी (स्टबल बर्निंग) जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया है। इसे लेकर एनजीटी ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की है। साथ ही दो लाख का जुर्माना भी ठोका है। एनजीटी एक्टिंग जस्टिस जवाद रहीम की बेंच ने दिल्ली सरकार से पूछा कि पिछले आदेश के बावजूद शपथ पत्र (हलफनामा) में चीफ सेक्रेटरी के हस्ताक्षर क्यों नहीं थे? एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर के हस्ताक्षर थे।
बेंच ने कहा कि यदि हम कोई दिशा-निर्देश देते हैं तो उसका अनुपालन किया जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार जुर्माने की राशि का 25 फीसदी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) को, 25 फीसदी दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) के पास जमा करे। जबकि शेष राशि एनजीटी के पास रहेगी। बता दें कि फसलों की खूंटी (स्टबल बर्निंग) को जलाने से होने वाले प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए एनजीटी ने दिल्ली समेत चार पड़ोसी राज्यों को एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश जारी किया था।
इस दौरान इसके तहत खूंटी जलाने से रोकने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ ही बुनियादी ढांचा सहायता मुहैया कराने के लिए एक व्यापक नीति तैयार करने के लिए भी बेंच ने निर्देशित किया था। एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश की सरकारों को अपने एक्शन प्लान संबंधी एफिडेविट भी दाखिल करने के लिए निर्देशित किया था। उस दौरान भी बेंच ने दिल्ली व राजस्थान की सरकारों को फटकार भी लगाई थी। बेंच ने कहा था कि राज्य सरकारों ने मामले की जांच करने की बात कही थी और अब एक्शन प्लान पेश करने के लिए समय मांग रहे हैं। बेंच ने कहा कि फसलों के अवशेष को फिर से इस्तेमाल के लिए रिमूवल, कलेक्शन व स्टोरेज साइट तैयार करना राज्य सरकारों का दायित्व है। लेकिन इस मामले में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है।
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