चुनाव में नामांकन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया। एनजीओ लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव नामांकन के दौरान प्रत्येक उम्मीदवार को चल और अचल आय के साथ-साथ आय का स्त्राेत का भी खुलासा करने के आदेश दिए हैं। अपनी आय के साथ जीवनसाथी समेत आश्रितों की भी संपत्ति का स्रोत बताना होगा। साथ ही यह फैसला सभी चुनावों में लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सांसद और विधायकों की संपत्ति में 500 गुना बढ़ोतरी को लेकर सुनवाई करते हुए सवाल पूछा था कि अगर सांसद और विधायक ये बता भी दें कि उनकी आय और सम्पदा में इतनी तेजी से बढ़ोतरी किसी बिजनेस से हुई तो भी ये सवाल उठता है कि सांसद और विधायक होते हुए आप कोई भी बिजनेस कैसे कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि 1995 में एन एन वोहरा कमेटी की रिपोर्ट आई थी।
सरकार ने उस पर अमल के लिए क्या काम किये? हालत आज भी वैसे ही है। कोर्ट ने सरकार को फटकारते हुए कहा था कि आपने रिपार्ट को लेकर कुछ नहीं किया। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उस सील बंद लिफाफे को भी खोला जिसमें सात लोकसभा सांसदों और 98 विधायकों द्वारा चुनावी हलफनामे में संपत्तियों के बारे में दी गई जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में दी गई जानकारी से अलग पाई गई।
गौरतलब है कि अप्रैल 2017 में अपने हलफनामे में चुनाव सुधारों को लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि नामांकन के वक्त प्रत्याशी द्वारा अपनी, अपने जीवन साथी और आश्रितों की आय के स्त्रोत की जानकारी जरूरी करने को केंद्र तैयार है। इस संबंध में केंद्र ने जल्द ही नोटिफिकेशन जारी करने के लिए भी कहा था।
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