हरियाणा के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई का करीब ढाई माह बाद आज पटाक्षेप हो गया है। इस प्रकरण में विवाद का कारण बना सीआईडी विभाग अनिल विज से वापस ले लिया गया है। गृह विभाग का हिस्सा होने के बावजूद यह विभाग अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अधीन होगा।
हरियाणा में अपनी तरह का यह पहला घटनाक्रम है जब गृहमंत्री के अधीन सीआईडी नहीं होगी। हालांकि इस फेरबदल पर अधिकारिक रूप से कोई कुछ नहीं बोल रहा है लेकिन हरियाणा सरकार की अधिकारिक वेबसाइट पर इस बदलाव को दर्शा दिया गया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर विवाद बढ़ना तय है।
हरियाणा में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान अनिल विज को वरिष्ठता के आधार पर गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। गृहमंत्री बनने के बाद विज जहां पुलिस विभाग का कायाकल्प करने में जुटे हुए हैं वहीं सीआईडी चीफ के साथ उनकी कई बातों में असहमति सार्वजनिक हो चुकी है। विज के गृहमंत्री बनने के बाद से ही सीआईडी की रिपोर्टिंग को लेकर विवाद चल रहा है।
सीआईडी, गृह विभाग से अलग नहीं हो सकता
हरियाणा के गृह विभाग के संविधान में सीआईडी उसी का पार्ट है और गृह विभाग के विभाग में सीआईडी पांचवें नंबर पर है। इसलिए सीआईडी को गृह विभाग से अलग करके नहीं देखा जा सकता और मैं प्रदेश का गृहमंत्री हूं।
हाईकमान ने खट्टर को ही सर्वेसर्वा माना
इस विवाद में अनिल विज द्वारा मीडिया में दिए गए कई बयानों में आग में घी का काम किया और पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस मुद्दे पर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। भाजपा प्रभारी ने सीएम खट्टर और अनिल विज से इस विवाद पर बातचीत करके अधिकारिक तौर पर मीडिया में बयान दिया था कि सीएम किसी भी प्रदेश में सर्वेसर्वा होता है।