नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में महीने भर वायु गुणवत्ता के स्तर के गंभीर रहने के कारण राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने वायु प्रदूषण के विभिन्न स्तरों से लड़ने के लिए एक चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना लागू करने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष पर्यावरण संस्था ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अधिकरण (ईपीसीए) की कार्य योजनाओं में कोई एकरूपता और मतैक्यता नहीं है। हाल में जारी अपने आदेश में अधिकरण ने कहा कि वायु गुणवथा के वर्गीकरण में स्पष्टता और निश्चितता की जरूरत है। पूर्व अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, आंकड़ साफ दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हवा ज्यादातर वक्त प्रदूषित रही और महीने के ज्यादातर समय वायु गुणवथा गंभीर या इससे भी रूपर रही।
इस तरह की हवा हम दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं। यह मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।अधिकरण ने कहा कि ऐसा नजरिया अपनाना होगा जो उपचार की बजाए रोकथाम और बचाव उन्मुखी हो। अधिकरण ने कहा कि दिल्ली और आस-पास की हवा के प्रदूषण को नियंत्रित करने और उससे बचने के लिए नियम, कानून और निर्देशों की कमी नहीं है। लेकिन जरूरी यह है कि इन कानूनों और निर्देशों को लागू करवाया जाए। एनजीटी ने वायु प्रदूषण को चार श्रेणियों में रखा है- श्रेणी एक (औसत), श्रेणी दो (गंभीर), श्रेणी तीन (नाजुक) और श्रेणी चार (पर्यावरण संबंधी आपातकाल)। इन सभी श्रेणियों के लिए अलग-अलग तरह की कार्य योजना तैयार की गई है।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ