चंडीगढ़ : हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर को सोनिया गांधी के आवास के आगे बवाल काटना महंगा पड़ गया। जिसका भुगतान उन्हें पार्टी से इस्तीफा देकर करना पड़ा। तंवर अगर पार्टी से इस्तीफा नहीं देते तो संभ्वत पार्टी उनके विरूद्ध कार्रवाई करने की तैयारी में थी। तंवर ने इस्तीफा देकर खुद को सेफ जोन में पहुंचाने का काम किया है। अशोक तंवर पहले ऐसे अध्यक्ष हैं जिन्होंने सोनिया गांधी के दस जनपथ के आगे हंगामा किया था।
कांग्रेस में टिकट आबंटन के दौरान अशोक तंवर ने हाईकमान को 40 समर्थकों की सूची देकर उनके लिए टिकटें मांगी थी। टिकट आबंटन में जब हुड्डा की चली तो तंवर बिफर गए। अपने समर्थकों को अपने साथ जोड़े रखने के चलते अशोक तंवर ने पहले तो एक ऑडियो संदेश भेजकर दस जनपथ के आगे एकत्र किया।
उसके बाद समर्थकों ने जब हुड्डा व गुलाम नबी आजाद के विरूद्ध नारेबाजी की तो तंवर खुद वहां पहुंच गए और हुड्डा व आजाद के विरूद्ध जमकर आग उगली। तंवर की इस हरकत से सोनिया खासी नाराज हुई हैं। तंवर ने अपने समर्थकों को शांत करने की बजाए उन्हें उकसाने का काम किया है।
सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी अशोक तंवर के विरूद्ध कार्रवाई का मन बना चुकी थी। इस बारे में उन्होंने गुलाम नबी आजाद को निर्देश भी दे दिए लेकिन विधानसभा चुनाव के चलते आजाद ने इस मामले को रोक लिया। दूसरी तरफ अशोक तंवर पर उन कार्यकर्ताओं का दबाव था जिन्हें तंवर ने टिकट दिलवाने का आश्वासन दे रखा था।
दोनों तरफ से घिरे अशोक तंवर ने खुद को सेफ जोन में पहुंचाने के लिए इस्तीफे की राह चुनी। जिससे हाईकमान को भी उनके विरूद्ध कार्रवाई करने का मौका नहीं मिला और कार्यकर्ताओं के दबाव से भी उन्होंने छुटकारा पा लिया।