रायपुर : छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की इकलौती सीट को लेकर घमासान की स्थिति नजर आ रही है। सत्ताधारी दल भाजपा के सदस्य का कार्यकाल खत्म होने से रिक्त सीट में विपक्ष ने अपना उम्मीदवार उतारकर एक तरह से सूबे में संदेश देने की कोशिशें की है। वहीं जातीय समीकरणों के दांव के साथ सत्ताधारी दल को उलझनों में डाला है। पहली बार प्रदेश में राज्यसभा के समर में निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति नहीं बनेगी।
संख्या बल के हिसाब से सत्ताधारी दल की जीत तय है। इसके बावजूद कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारकर समीकरणों को बिगाड़ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। कांग्रेस की नजर साहू समाज के विधायकों के अलावा अनुसूचित जाति के 9 विधायकों पर है। विधानसभा में तकनीकी तौर पर कांग्रेस के 39 विधायक हैं। एक विधायक असंबद्ध होने की वजह से संख्या 38 हो जाएगी वहीं दो विधायक निलंबित हैं। हालांकि पार्टी व्हिप और नियमों से बंधे होने की वजह से कांग्रेस को वोट करने की बाध्यता होगी।
इसके बावजूद विपक्ष ने बहुमत के लिए अपने 35 विधायकों के अलावा 11 अन्य विधायकों के समर्थन के लिए गोटियां बिछाई है। इधर चुनाव में जमकर क्रास वोटिंग की आशंकाओं के मद्देनजर भी दोनों ही राजनीतिक दल अपने विधायकों को दिखाकर वोट देने का फरमान भी जारी कर सकते हैं।
हालांकि चुनाव में गोपनीय मतदान ही होता रहा है। हालांकि भाजपा ने आशंकाओं के मद्देनजर अपने विधायकों को लामबंद करने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके बावजूद सदन में बसपा और निर्दलीय विधायक पर भी निगाहें टिकी हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर बसपा ने कांग्रेस को समर्थन कर दिया है लेकिन इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में क्या स्थिति होगी इसे लेकर बसपा ने कोई ऐलान नहीं किया है। निर्दलीय विधायक का झुकाव सत्तापक्ष की ओर ही रहा है। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
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