छत्तीसगढ़ के सरकारी महकमों में दागी सर्विस रिकार्ड वाले अफसरों को जबरिया सेवानिवृत्ति के मामले में अब ज्यादातर विभागों की रिपोर्ट पहुंचने लगी है। हालांकि इन कवायदों के बीच विरोध के सुर भी फूटने लगे हैं। राज्य में पुलिस महकमें में बीते माह ही 47 पुलिस अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले में विवाद गहराने के बाद पुलिस महकमे में अन्य अफसरों के मामले में कार्रवाई फिलहाल रोक दी गई है। इसके बावजूद वक्र्स विभागों के में बड़ी तादाद में अफसरों की कुंडलियों को खंगाला जा रहा है।
वहीं विभिन्न विभागों की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की स्थिति में बड़ी तादाद में अफसर और कर्मचारी सेवा से बाहर हो जाएंगे। इनमें ईओडब्लू में दर्ज मामलों समेत लोकायुक्त और विभागीय जांच के साथ सालाना गोपनीय चरित्रावली को आधार बनाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक विरोध के मद्देनजर अब थोक में कार्रवाई के बजाय राज्य शासन एक-एक कर अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने का मन बना रहा है।
इधर राज्य में अफसरों और कर्मचारियों के संगठनों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है। वहीं तर्कों के साथ सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर पदोन्नति और क्रमोन्नति के मामलों में केवल पांच साल का ही सर्विस रिकार्ड का अवलोकन किया जाता है तो ऐसे में पूरे सेवाकाल के आधार पर कार्रवाई क्यों हो रही है। इसमें शासकीय सेवकों को अपना पक्ष रखने तक का मौका नहीं मिल पा रहा है। वहीं आला अफसर दुर्भावनावश भी कार्रवाई का फैसला ले रहे हैं।
राज्य में पुलिस विभाग में बेहतर सर्विस रिकार्ड और दागी नहीं होने के बावजूद कुछ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद कार्यप्रणाली ही कटघरे में नजर आने लगी है। विभिन्न विभागों की ओर से राज्य शासन को सूची भेज दी गई है। इनमें अधिकतर वक्र्स विभागों में अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। हालांकि सरकार ने हर छह माह में सर्विस रिकार्ड की समीक्षा करने का निर्णय लिया है।