सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देश के कई हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्र और राज्यों को आदेश जारी किया है। आदेश में कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जिन मजदूरों पर कथित रूप से उल्लंघन करने के मामले दर्ज किए गए हैं, उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत सभी मामले वापस लिए जाएं।
लॉकडाउन के चलते देशभर में फंसे लाखों प्रवासी मजदूरों को लेकर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को आदेश जारी कर निर्देश दिया है कि सरकार मजदूरों की घर वापसी की प्रक्रिया अगले 15 दिनों में पूरी करें। अदालत के इस आदेश के बाद रेवले एक्शन में आ गया है। न्यायालय के निर्देश के कुछ घंटे बाद रेलवे ने राज्यों को पत्र लिखकर उनसे कहा है कि वे प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए 10 जून तक श्रमिक विशेष ट्रेनों के लिए ‘‘समग्र शेष’’ मांग उपलब्ध कराएं।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की प्रक्रिया अगले 15 दिन में पूरी करें। रेलवे एक मई से लेकर अब तक 4,347 श्रमिक विशेष ट्रेनों के जरिए लगभग 60 लाख लोगों को उनके गंतव्य राज्यों में पहुंचा चुका है। राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पहले ही की जा चुकी 171 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के अतिरिक्त, किसी अतिरिक्त मांग की स्थिति में रेलवे प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के आग्रह पर 24 घंटे के भीतर श्रमिक विशेष ट्रेन उपलब्ध कराएगा।
उन्होंने मंगलवार को जारी पत्र में लिखा, ‘‘इस परिप्रेक्ष्य में, आप कृपया फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से यात्रियों की संख्या, यात्रा प्रारंभ होने के स्टेशन, गंतव्य स्टेशन, कार्यक्रम और परिवहन के संपन्न होने की तारीखों सहित श्रमिक विशेष ट्रेनों के लिए समग्र शेष मांग की सलाह दे सकते हैं।’’ पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘‘ब्योरा आधिकारिक पत्र के माध्यम से 10 जून तक भेजा जा सकता है।’’
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे सभी प्रवासी मजदूरों को 15 दिन के भीतर उनके घर भेजें और उनके पुनर्वास के लिए उनके कौशल का आकलन करने के बाद उनके लिए रोजगार योजनाएं लागू करें। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने केंद्र को यह निर्देश भी दिया कि वह प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए राज्यों की मांग पर 24 घंटे के भीतर अतिरिक्त ट्रेन उपलब्ध कराएं।