लखनऊ : अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती समेत 12 आरोपियों को आज जमानत दे दी।
सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश संजय कुमार यादव ने आरोपियों को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। अदालत ने इन आरोपियों पर आरोप भी तय कर दिये हैं आरोपियों के अधिवक्ता केे के मिश्रा ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई प्रतिदिन चलेगी। सभी गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद उन्हें हाजिर होना पड़ेगा, हालांकि अदालत आरोपियों को बीच में भी बुला सकती है।
सुरक्षा के कड़े इन्तजाम के बीच करीब 12 बजे श्री आडवाणी अदालत में पेश हुए। अदालत के बाहर सुरक्षा के व्यापक बन्दोबस्त किये गये थे। देश-विदेश के मीडियाकर्मियों से परिसर खचाखच भरा हुआ था।
इसके पूर्व श्री आडवाणी और श्री जोशी के साथ कुछ अन्य आरोपी दिल्ली से सुबह करीब नौ बजे लखनऊ हवाई अड्डे पहुंचे। वहां से वह अतिविशिष्ट अतिथि गृह आये जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और लालजी टंडन समेत कई नेताओं ने उनसे मुलाकात की। मुलाकात के बाद सभी आरोपी सीधे अदालत पहुंचे।
श्री आडवाणी और दो अन्य आरोपियों को सीबीआई ने ढांचा गिराने के षडयंत्र के आरोप से 2001 में बाहर निकाल दिया था। वर्ष 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी इस पर मुहर लगा दी थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने षडयंत्र की धारा 120बी के तहत भी मुकदमा चलाने का आदेश दिया। सीबीआई की विशेष अदालत में आज 120बी के तहत मुकदमा चलाने पर आपत्ति दर्ज करायी गयी। विशेष अदालत में उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार भारतीय दण्ड संहिता की इस धारा में भी मुकदमा चलेगा।
श्री आडवाणी, श्री जोशी, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, भाजपा सांसद विनय कटियार, विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) नेता विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतम्भरा को गत 26 मई को अदालत में पेश होना था, लेकिन अदालत में बैठते ही उनके वकील ने हाजिरी माफी की दरख्वास्त दे दी थी। विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव ने हाजिरी माफी तो दे दी थी,लेकिन 30 मई को हर हाल में पेश होने का आदेश
दिया था।
इन आरोपियों के पेश नहीं होने की वजह से 26 मई को आरोप तय नहीं हो सके थे। आरोप तय करने के लिये आरोपी को व्यक्तिगत रुप से अदालत में उपस्थित होना जरुरी होता है। अदालत में श्री आडवाणी और जोशी के साथ ही विनय कटियार, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा, श्री डालमिया, श्री रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, पूर्व सांसद डा़ राम विलास दास वेदान्ती, महंत धर्मदास, चम्पत राय, सतीश प्रधान और बैकुंठ लाल शर्मा हाजिर हुए।
पिछली तारीख को अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार चार सप्ताह में आरोप तय कर देने हैं, लेकिन आरोपियों के पेश नहीं होने की वजह से इसमें देरी हो रही है। इससे पहले श्री आडवाणी, श्री जोशी, श्री कटियार, सुश्री उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा और श्री डालमिया के खिलाफ रायबरेली में मुकदमा चल रहा था, लेकिन 19 अप्रैल 2017 को उच्चतम न्यायालय के आदेश से मुकदमा लखनऊ की विशेष अदालत में स्थानातंरित कर दिया गया । इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 153ए, 295, 295ए, 120बी और 505 के तहत आरोप तय किया गया है।
रायबरेली में ही विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) नेता अशोक सिंघल और आचार्य गिरिराज किशोर के खिलाफ भी मुकदमा चल रहा था, लेकिन इन दोनो की मृत्यु हो गयी। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के विरुद्ध भी रायबरेली में ही मुकदमा चल रहा था लेकिन राजस्थान के राज्यपाल बनाये जाने की वजह से उन्हें मुकदमें में फिलहाल राहत मिली हुई है। पिछली तारीख को अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार चार सप्ताह में आरोप तय कर देने हैं, लेकिन आरोपियों के पेश नहीं होने की वजह से इसमें देरी हो रही है।