50 टॉप विलफुल डिफॉल्टर्स के 68,607 करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाले जाने पर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मंलवार को कहा कि सरकार को भगोड़े कारोबारियों के संदर्भ में कर्ज को बट्टे खाते में डालने का नियम लागू नहीं करना चाहिए। चिदंबरम ने यह टिप्पणी ऐसे वक्त में की है जब बैंक कर्ज माफ़ी को लेकर सरकार और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
चिदंबरम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई इस बात से इनकार नहीं कर रहा है कि जानबूझ कर कर्ज अदा नहीं करने वालों पर कर्ज बट्टे खाते में डालने वाला नियम लागू नहीं होना चाहिए। परंतु हम इन भगोड़ों के बारे में सवाल कर रहे हैं। वे देश छोड़कर भाग चुके हैं। आप यह नियम नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या के लिए लागू क्यों कर रहे हैं।’’ पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि भगोड़े लोगों के मामले में तकनीकी नियम लागू नहीं होना चाहिए।
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गौरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के एक आरोप को लेकर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार रात कहा कि जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाले संप्रग सरकार की ‘फोन बैंकिंग’ के लाभकारी हैं और मोदी सरकार उनसे बकाया वसूली के लिए उनके पीछे पड़ी है।
कांग्रेस का दावा है कि ‘24 अप्रैल को आरटीआई के जवाब में रिज़र्व बैंक ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए 50 सबसे बड़े बैंक घोटालेबाजों का 68,607 करोड़ रुपया ‘माफ करने’ की बात स्वीकार की। इनमें भगोड़े कारोबारी चोकसी, नीरव मोदी और माल्या के नाम भी शामिल हैं।’