अयोध्या भूमि केस में आज नौवें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चली जिसमे दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखी। 6 अगस्त से उच्चतम अदालत इस मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है। बीते दिन मंगलवार की सुनवाई खत्म होने तक यह कहा गया था कि शिला पर मौजूद मगरमच्छ और कछुए के तस्वीरें जो है उनका इस्लाम धर्म से किसी भी प्रकार से कोई ताल्लुकात नहीं है।
आज सुनवाई के दौरान एक और दिलचस्प दलील रखी गई जिसमें रामलला को नाबालिग बताया गया। सीएस वैद्यनाथन ने आगे कहा कि रामलला क्योंकि बालिग नहीं है इसीलिए उनकी प्रॉपर्टी को न तो कोई बेच सकता है और न ही कोई खरीद सकता है।
वही, रामलला विराजमान पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न रहा हो, मूर्ति हो या न हो लोगों की मान्यता होनी काफी है कि वही रामजन्म स्थान है। यह सब पुष्टि करने के लिए काफी है।
इसके अलावा अदालत में रामलला के वकील ने कहा कि राममंदिर में विराजित रामलला कानूनी रूप से नाबालिग का दर्जा रखते हैं.कोई भी पक्ष किसी नाबालिक की सम्पति को लेकर कोई भी निर्णय नहीं कर सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 1949 में विवादस्पद जगह पर से रामलला की मूर्ति मिलने के बाद दूसरा पक्ष ने 12 तक कोई भी सवाल नहीं उठाया और चुपचाप बैठा रहा।
उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई क़ानूनी आपत्ति नहीं जताई साथ ही न कोई किसी भी तरह का अपना दावा ठोका। इसी आधार पर अदालत जन्मस्थान को लेकर हज़ारों वर्षो से चली आ रही आस्था को समझे और पक्ष को महत्व मिले।
आपको बता दें कि विवादित स्थान को लेकर इस मसले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की प्रमुखता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ के अधीन की जा रही है।