श्रीहरिकोटा : भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ का सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। ‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-मार्क ।।। एम 1 ने प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद यान को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
मिशन के तहत चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में रोवर उतारकर अन्वेषण और अध्ययन किया जाएगा। रोवर की सात सितंबर को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराए जाने की योजना है।
चंद्रयान-2 ने अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर चांद की ओर उड़ान भरी। आज का यह प्रक्षेपण अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की धाक जमाएगा और चांद के बारे में दुनिया को नई जानकारी उपलबध कराएगा।
इसरो ने 18 जुलाई को यान के प्रक्षेपण की नयी तारीख की घोषणा करते हुए कहा था ‘‘ चंद्रयान-2 अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है। 22 जुलाई 2019 को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपण के लिए हमारे साथ जुड़िये।’’
43.43 मीटर लंबे जीएसएलवी मार्क ।।। एम-1 ने आसमान में छाए बादलों को चीरते हुए प्रक्षेपण के 16 मिनट 14 सेकंड बाद 3,850 किलोग्राम वजनी ‘चंद्रयान-2’ को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
प्रक्षेपण के बाद इसरो के वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे।
इसरो ने बाद में एक बयान में कहा कि ‘चंद्रयान-2’ के रॉकेट से अलग होने के तत्काल बाद अंतरिक्ष यान के सौर पैनल अपने आप तैनात हो गए और बेंगलुरू स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमान प्रणाली ने अंतरिक्ष यान का नियंत्रण सफलतापूर्वक अपने हाथों में ले लिया।
बयान के अनुसार ‘चंद्रयान-2’ को चांद के नजदीक ले जाने के लिए अगले सप्ताहों में कई अभियान चरणों को अंजाम देना होगा और रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग सात सितंबर को कराने की योजना है।
पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के साथ ही यान ने भारत के महत्वाकांक्षी मिशन के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए ट्वीट किया, ‘‘चंद्रयान-2 अपने आप में विशिष्ट है क्योंकि यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में खोज और अध्ययन करेगा जो किसी विगत मिशन में नहीं हुआ है। मिशन, चंद्रमा के बारे में नयी जानकारी उपलब्ध कराएगा।’’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ गया ‘चंद्रयान-2’ चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने से पहले 15 महत्वपूर्ण अभियान चरणों से गुजरेगा। यान के सितंबर के पहले सप्ताह में चांद पर उतरने की उम्मीद है।
आज हुए प्रक्षेपण के बाद इसरो प्रमुख के. सिवन ने मिशन के सफल होने की घोषणा की और 15 जुलाई को आई तकनीकी खामी को लेकर कहा कि हम फिर से अपने रास्ते पर आ गए। उन्होंने कहा कि यह चंद्रमा की ओर भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है।
सिवन ने कहा कि यान को चंद्रमा के पास पहुंचने से पहले, अगले डेढ़ महीने में 15 ‘‘बेहद महत्वपूर्ण अभियान चरणों’’ से गुजरना होगा।’’
उन्होंने कहा कि उसके बाद वह दिन आएगा, जब चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव के नजदीक सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए 15 मिनट तक ‘‘हमारे दिलों की धड़कनें बढ़ जाएंगी।’’ यह सबसे जटिल चरण होगा।
गत 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण टाल दिया गया था। उस दिन इसका प्रक्षेपण तड़के दो बजकर 51 मिनट पर होना था, लेकिन प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद ‘चंद्रयान-2’ की उड़ान टाल दी गई थी। उस दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द भी प्रक्षेपण स्थल पर मौजूद थे।
समय रहते खामी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने इसरो की सराहना की थी। आज रवाना हुआ ‘चंद्रयान-2’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। इससे चांद के अनसुलझे रहस्य जानने में मदद मिलेगी । यह ऐसी नयी खोज होगी जिसका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा।
पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-मार्क ।।। के जरिए 978 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण किया है।
कल यानी रविवार की शाम छह बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपण के लिए 20 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हुई थी। इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
स्वदेशी तकनीक से निर्मित ‘चंद्रयान-2’ में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं।
लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है।
ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के बीच संकेत प्रसारित करेगा।
लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है। ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स) संचालित 6-पहिया वाहन है।