जब हमें चोट लग जाती है, तो हम अपने घावों के बारे में बता सकते हैं। वहीं एक छोटा बच्चा भी चोट लगने पर अपना दर्द बंया कर सकता है। लेकिन अगर एक बेजुबान जानवर को कभी चोट लग जाएं तो वे अपना दर्द भी नहीं बता सकता है। पर कभी-कभी ये बेजुबान जानवर इतने समझदार होते है कि खुद ही इंसानों से मदद मांग लेते है। अब ऐसी ही एक कहानी बांग्लादेश से सामने आई है। जहां एक बंदर खुद का इलाज करवाने के लिए अस्पताल पहुंच जाता है।
दरअसल, यह घटना बांग्लादेश के चटगांव में स्थित सीताकुंड उपजिला हेल्थ कॉम्लेक्स की है। जहां एक बंदर एक बार नहीं बल्कि तीन बार खुद से इलाज करवाने के लिए अस्पताल आ पहुंचा। वहीं मीडिया से बातचीत में अस्पताल के डॉक्टर नूरुद्दीन रशीद ने बताया कि ‘जब मैं काम छोड़ने वाला था, तो मैंने घायल बंदर को अस्पताल की बालकनी पर बैठा देखा। बाद में, मैंने बंदर के घावों पर पट्टी बांधी और वह अस्पताल परिसर से चला गया। लेकिन ज्यादा देर नहीं हुई जब बंदर नई पट्टियां करवाने के लिए वापस आ गया। ऐसा उसने तीन बार किया। उस बंदर को दर्द हो रहा था और पीठ के कुछ घाव सड़ने लगे थे। बंदर को यह घाव बिजली का करंट लगने कारण हुए हो सकते हैं’।
बता दें, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बंदर बिजली की लाइन पर बैठने के कारण जख्मी हो गया था। उसके घाव भी सड़ने लगे थे। वहीं, जब वह बंदर अस्पताल में आया तो डॉक्टरों ने उसके घावों पर पट्टियां बांध दीं। वहीं, अब बंदर की तस्वीर भी वायरल हो रही है, जिसमें वह अस्पताल के पास एक खंभे पर बैठे हुआ है और उसके घायल अंगों पर पट्टियां बंधीं हुई हैं। हालांकि, डॉक्टरों के लगातार 5 दिनों तक इलाज के बाद भी उस बंदर को बचाया नहीं जा सका।
Under-treatment monkey who appeared before hospital dies in Ctg#Bangladesh #chittagong #monkey https://t.co/0fB1kWmqLF
— UNB – United News of Bangladesh (@unbnewsroom) September 8, 2023
इसकी जानकारी चट्टोग्राम वाइल्ड लाइफ और बायोडायवर्सिटी रिजर्वेशन डिपार्टमेंट के ऑफिसर दीपान्विता भट्टाचार्य ने दी है। वहीं, स्थानीय समाचार पत्रों ने बताया कि बंदर को वन्यजीव प्रबंधन और प्रकृति संरक्षण विभाग की ओर से दफनाया दिया गया है।