भारत की राजधानी दिल्ली में आग का मामला थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। आज भी एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया हैं। बताया जा रहा है कि मुस्तफादाबाद की एक फैक्ट्री में अचानक आग लग गई हैं।
मरीजों को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया
सूत्रोंं के मुताबिक इस तीन मंजिला मकान की पहली मंजिल पर पैकिंग की फैक्ट्री चल रही थी। आग लगने के बाद इससे पांच लोग झुलसे है, इसमें एक महिला भी है। सभी को जीटीबी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है। आग में झुलसी एक महिला का नाम हुस्नआरा है। हुस्नआरा को इलाज के लिए जीटीबी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवाया गया है।
दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद
जानकारी के मुताबिक आग की वजह से हफरा- तफरी का माहौल बन गया हैं। हालांकि, घटना स्थल पर तुरंत दमकल की 6 गांड़ियां तुरंत मौके पर मौजूद हो गई और आग को बुझाने का काम शुरू हो गया । दरअसल, इस आग में सात लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है उन्हे तुरंत नजदीक जीटीबी अस्पताल इलाज के लिए भेज दिया गया । हालांकि, इस दुखद घटना में एक व्यक्ति की भी मौत हो गई हैं।
फैक्ट्री में धमाके के साथ लगी आग, एक की मौत छह झुलसे
राजधानी दिल्ली में आग का तांडव थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुंडका अग्निकांड में 27 लोगों की मौत को लोग अभी भुला भी नहीं पाए थे कि गुरुवार दोपहर दयालपुर स्थित न्यू मुस्तफाबाद में एक फैक्टरी में जोरदार धमाके के साथ आग लग गई। इस हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि एक महिला समेत छह मजदूर गंभीर रूप से झुलस गए। धमाका इतना जबरदस्त था कि पहली मंजिल लगभग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। बाहर की और छज्जे पर लगे लोहे के भारी-भरकम जाल भी उखड़कर सड़क पर आ गिरे।
हादसे के बाद पड़ोसी और राहगीर मदद के लिए दौड़कर आगे आए। उन्होंने दमकल विभाग के मौके पर पहुंचने तक सभी घायलों को बाहर निकाल लिया था। घरों की पानी की मोटरें चलाकर और पाइप जोड़कर आग पर भी लगभग काबू पा लिया था। मौके पर पहुंची पुलिस ने एंबुलेंस और निजी वाहनों की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने ने इंद्रजीत पांडेय (42) नाम के व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया।
दमकल विभाग के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने बताया कि दोपहर करीब 12.17 बजे गली नंबर-23, 33-फुटा रोड, न्यू मुस्तफाबाद में एक फैक्ट्री में आग की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंची दमकल की छह गाड़ियों की मदद से आग पर काबू पाया जा सका। फैक्टरी में कुलर की पंखड़ी, एफएम, स्टेबलाइजर, एम्प्लीफायर की चेसी, चुल्हे आदि बनते थे। इन पर पाउडर कोटिंग पेंट करने के लिए एलपीजी सिलेंडर से चलने वाली एक भट्टी भी लगी हुई थी। पुलिस की मानें तो आशंका है कि भट्टी में इस्तेमाल एलपीजी सिलेंडर रिसाव के बाद पहली मंजिल पर जोदार धमाका हुआ और आग लग गई। हादसे के वक्त इंद्रजीत भट्टी पर ही काम कर रहे थे। जिसकी वजह से वह सबसे ज्यादा घायल हुए। जांच में यह भी पता चला है कि फैक्टरी मालिक मो. अंसार सैफी के पास न तो नगर निगम का कोई लाइसेंस था और न ही दमकल विभाग से कोई एनओसी ली थी। पुलिस ने दयालपुर थाने में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक हादसे में घायल लोगों की पहचान आमिर (26), गुलफाम (19), शमीम (26), बिलाल (18), पप्पन (28) और ललिता उर्फ हुस्नआरा (45) के तौर पर हुई है। इन्हें जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ललिता की हालत नाजुक बनी हुई है। उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है।
— जान की परवाह किए बिना बचाई जानें
करीब दो सौ गज की फैक्ट्री में आग लगी हुई थी और धुएं के साथ धूल का गुब्बार उठ रहा था। तब पड़ोसी व कुछ राहगीर जान की परवाह किए बिना फैक्ट्री में घुस गए। मो. अरशद ने बताया कि वह दोस्त के साथ घटना स्थल से गुजर रहा था। लोगों की चीखपुकार देख उससे रुका नहीं गया। उसने अपने दोस्त को अपना फोन, पर्स व अन्य सामान दिया और कहा अगर में अंदर से जिंदा आ गया तो ठीक, वरना ये सामान मेरी मां को दे देना। यह कहकर अरशद अन्य लोगों के साथ इमारत में घुस गया। एक-एक कर अंदर से करीब चार-पांच लोगों को बाहर निकाला। इंद्रजीत पांडेय सामान के नीचे दबे हुए थे। उनके सिर और मुंह से खून निकल रहा था। कपड़े फट चुके थे और खाल जलकर पलट चुकी थी। कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें सामान के नीचे से निकाला। उनकी सांसे न के बराबर चल रही थीं।
— ऐसा लगा मेरे ही घर में हादसा हो गया
फैक्ट्री के ठीक सामने ही परचून की दुकान चलाने वाले मो. आरिफ ने बताया कि वह हादसे के वक्त दुकान पर ही मौजूद था। धमाके के साथ एकदम अंधेरा छा गया। उसे लगा जैसे उसी के घर में सिलेंडर फट गया। वह भाग कर अंदर गया। धूल छटी तो पता चला सामने फैक्ट्री में हादसा हुआ है। आमिर व अन्य पड़ोसियों ने तुरंत पाइप से पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास किया। वहीं कुछ लोग अंदर घुसे और घायलों को निकालकर बाहर लाए। ललिता आंटी बुरी तरह से जल गई थीं। उनके कपड़े भी जल और फट गए थे। एक पड़ोसी महिला ने उन्हें कपड़े दिए। करीब आधे घंटे बाद दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची। तब तक स्थानीय लोग काफी हद तक आग पर काबू पा चुके थे।
— पत्नी करती रही इंतजार नहीं आया फोन, मिली मौत की खबर
हादसे में मौत का शिकार हुए इंद्रजीत पांडेय इस फैक्ट्री में पिछले करीब 11 सालों से काम करते थे। वह यहां सबसे पुराने कारीगरों में एक थे। इंद्रजीत की आदत थी कि वह हर रोज दोपहर में अपने घर पत्नी को फोन करते थे और परिवार का हालचाल पूछते थे। मगर गुरुवार दोपहर उनकी पत्नी संगीता पति के फोन का इंतजार ही करती रह गईं। काफी देर बाद भी फोन नहीं आया तो उन्हें घबराहट होने लगी और किसी अनहोनी का अभास होने लगा। इसी बीच उनके बेटे आशुतोष के पास किसी का फोन आया और फैक्ट्री में आग लगने व इंद्रजीत की मौत की खबर दी। यह सुनते ही परिवार आनन फानन जग प्रवेश चंद अस्पताल पहुंचा तो स्ट्रैचर पर इंद्रजीत मृत पड़े हुए थे। पिता का शव देखते ही आशुतोष बेसुध होकर जमीन पर गिर गया। पत्नी संगीता का भी रो रोकर बुरा हाल है। इंद्रजीत परिवार के साथ सोनिया विहार पांचवा पुश्ता पर रहते थे। परिवार में पत्नी संगीता, दो बेटे आशुतोष, अमन और बेटी सपना है। उनके तीनों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इंद्रजीत के कंधों पर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी।