पाकिस्तान भारत के बेटे कुलभूषण जाधव को अपना मोहरा बनाकर दुनिया को यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ क्या किया है और क्या कर रहा है। पाक सेना द्वारा कुलभूषण जाधव के नये कबूलनामे का वीडियो जारी किया है जिसमें वह आतंकवाद और जासूसी में लिप्त होने की बात स्वीकार करते दिखाई दे रहे हैं। पाक ने ऐसा करके अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को प्रभावित करने का प्रयास ही किया है लेकिन पाक के इस कथित वीडियो को स्वीकार कौन करेगा। मनगढ़ंत और फरेबी बातों से सच को झुठलाया नहीं जा सकता। पाकिस्तान के क्रूर हाथों से हम पहले ही निर्दोष बेटे सरबजीत को खो चुके हैं। कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान क्या करेगा, यह देखना अभी बाकी है। मौत के मुहाने पर खड़े व्यक्ति से कुछ भी लिखवाया जा सकता है, कुछ भी बुलवाया जा सकता है। वीडियो में 100 कट हैं और साफ पता चलता है कि कुलभूषण को टार्चर किया गया है।
अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस द्वारा कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाये जाने के बाद पाक के हुक्मरानों और सेना ने बार-बार बयान बदले। पहले उसने कहा कि वह अन्तर्राष्ट्रीय अदालत का निर्णय नहीं मानेगा, फिर उसने कहा कि वह अन्तिम फैसला आने तक कुलभूषण को फांसी की सजा नहीं देगा। अब कुलभूषण की दया याचिका पाक सेना प्रमुख कमर बाजवा के सामने है क्योंकि सैन्य अदालत पहले ही उसकी दया याचिका को ठुकरा चुकी है। पाक सेना द्वारा जारी किया गया नया बयान भारत के लिए एक चुनौती है क्योंकि इससे जाधव को फांसी पर चढ़ाने की आशंका मजबूत हो गई है। इस मामले में पाकिस्तान की साजिश का खुलासा हो चुका है। उसने ब्लूचिस्तान के विषय पर भारत पर आरोप लगाने के लिए कुलभूषण जाधव को मोहरा बनाया है। यह माना जा रहा है कि कुलभूषण ईरान में थे, वहां से उन्हें पकड़ कर पाकिस्तान लाया गया था कुछ वहां उनका आतंकवादियों ने अपहरण कर उन्हें पाक एजेंटों के हवाले कर दिया गया। पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी ब्लूचिस्तान में दिखाई और आरोप लगाया कि भारत अपने एजेंटों के माध्यम से ब्लूचिस्तान की आजादी के आंदोलन को भड़का रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश ने पूरे मामले पर गौर किया।
उन्होंने तथ्यों और तर्कों को सुना और यह पाया कि पाक के पास अपनी दलीलों के पक्ष में कोई सबूत नहीं। अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट ने यह भी मानने से इन्कार कर दिया कि भारत ब्लूचिस्तान मामले में हस्तक्षेप कर रहा है। भारत सरबजीत मामले में अपने हाथ जला चुका था इसलिए उसने अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट में जाकर सजगता से काम लिया। पाकिस्तान ने भारत को बदनाम करने के लिए कुलभूषण को गिरफ्तार किया, ऐसा करके उसने न्यायिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया। ब्लूचिस्तान में पाक के अत्याचारों की दास्तां से पूरी दुनिया वाकिफ है।
वैसे तो अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट के आर्टिकल के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों के लिए फैसला बाध्यकारी होता है। यदि एक पक्ष फैसले को नहीं मानता तो दूसरा पक्ष संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में जा सकता है। चीन की वजह से संयुक्त राष्ट्र संघ बेमानी हो चुका है। चीन पाक का साथ दे रहा है और बार-बार आतंकी सरगना मसूद अजहर को आतंकवादियों की सूची में डालने और उस पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध लगाने में अड़ंगा लगा रहा है। चीन कुलभूषण मामले में वीटो लगा सकता है इसलिए भारत को ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस के आर्टिकल 50 के अनुसार किसी मामले की जांच भी कराई जा सकती है। कोर्ट यह काम किसी व्यक्ति, किसी संस्था या एजेंसी से करा सकता है। अगर कोर्ट ने यह कदम उठाया तो पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अगली सुनवाई में भारत यह मामला उठा सकता है। फिलहाल भारत जाधव को राजनयिक पहुंच न देने का विषय उठा रहा है। वियना संधि में स्पष्ट है कि एक-दूसरे के गिरफ्तार लोगों को राजनयिक पहुंच अनिवार्य रूप से दी जाएगी। पाकिस्तान ने इस संधि का उल्लंघन करके सजा सुना दी है। अगर पाकिस्तान जाधव मामले पर कभी गर्म तो कभी नरम बयान जारी करता है तो यह उसकी कूटनीति ही है। दरअसल अमरीका के ट्रम्प प्रशासन के यह कहने के बाद कि अमेरिका पाक के आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए कदम उठा सकता है, पाक की चिन्ताएं बढ़ गई हैं। पाकिस्तान की भारत के प्रति नफरत जगजाहिर है। भारत-पाक सम्बन्ध इस समय तनावपूर्ण हैं। सीमाओं पर गोलियों की दनादन और बमों के धमाके रोजाना की बात हो चुकी है। भारत ने फिर भी दरियादिली दिखाते हुए पाकिस्तान के 11 कैदी रिहा कर स्वदेश भेज दिए। इस दरियादिली का मतलब क्या है? भारत को सतर्क होकर इस मामले में बढऩा होगा और पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए अमेरिका और अन्य शक्तियों को उस पर कार्रवाई करने के लिए तैयार करना होगा। अपने बेटे को बचाने के लिए भारत को कुछ भी करने के लिए तैयार रहना होगा। सवाल एक नागरिक का नहीं बल्कि भारत के सम्मान का है।