जम्मू-कश्मीर में डीलर और नौकरशाहों की मिलीभगत से दिये गये हथियार के अवैध लाइसेंस : ईडी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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जम्मू-कश्मीर में डीलर और नौकरशाहों की मिलीभगत से दिये गये हथियार के अवैध लाइसेंस : ईडी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को कहा कि इसने कुछ दस्तावेज जब्त किये हैं, जो जम्मू-कश्मीर में हथियार के अवैध लाइसेंस जारी करने में हथियार डीलर और नौकरशाहों के बीच कथित मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को कहा कि इसने कुछ दस्तावेज जब्त किये हैं, जो जम्मू-कश्मीर में हथियार के अवैध लाइसेंस जारी करने में हथियार डीलर और नौकरशाहों के बीच कथित मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं। ईडी के मुताबिक हथियार के ये अवैध लाइसेंस वर्ष 2012-16 के बीच दिये गये। जांच एजेंसी धन शोधन रोधी कानून के तहत जांच कर रही है। ईडी ने कहा कि इसने कुछ आईएएस, कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) के अफसरों, कनिष्ठ सरकारी अधिकारियों और कई हथियार डीलर के खिलाफ छापेमारी शुरू की थी।
तारिक अथर व गजान के ठिकानों पर ईड़ी ने छापेमारी
ईडी ने बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी राजीव रंजन (पूर्व डीसी, कुपवाड़ा), केएएस अधिकारी इतरत हुसैन (पूर्व डीसी, कुपवाड़ा) और रविंदर कुमार भट्ट (पूर्व एडीसी, कुपवाड़ा) के आवासीय परिसरों सहित 11 स्थानों पर तलाशी ली गई। इसके अलावा कुपवाड़ा के डीसी कार्यालय के शस्त्र विभाग में पूर्व न्यायिक क्लर्क तारिक अथर और गजान सिंह के ठिकानों पर भी छापे मारी की गई। जांच एजेंसी के बयान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के छह हथियार डीलर के ठिकानों पर छापेमारी की गई जिनमें अमरनाथ भार्गव (वरुण आर्मरी) और उनके भाई मुकेश भर्गव (भार्गव गन हाउस), सुरजीत सिंह (देशमेश आर्मरी), मोहिंदर कोतवाल (मोहिंदर कोतवाल आर्म्स एंड एम्युनेशन), मनोहर सिंह (स्वरन आर्म्स एंड एम्युनेशन) और देवी दयाल खजुरिया (खजुरिया आर्म्स) भी शामिल हैं।
अगस्त 2018 में हुआ था मामला दर्ज
ईडी ने बताया कि इस दौरान 1.58 करोड़ रुपये नकद, 92.3 लाख रुपये मूल्य का 1.78 किलोग्राम सोना और डिजिटल दस्तावेज बरामद किये गये। एजेंसी ने कहा कि बरामद दस्तावेज से पता चलता है कि हथियार डीलरों और सरकारी अधिकारियों के बीच लेन-देन हुआ। अगस्त 2018 में दर्ज सीबीआई की प्राथमिकि के आधार पर ईडी ने यह मामला पीएमएलए कानून के तहत दर्ज किया था। ईडी के मुताबिक करीब 2.78 लाख हथियार लाइसेंस सेना और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों को दिशानिर्देशों और प्रक्रिया का उल्लंघन करके जारी किये गये थे और इसके बदले अधिकारियों को डीलर से पैसे मिले थे।
 

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