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बिहार कांग्रेस में आंतरिक कलह की उभरने लगी तस्वीर, कभी भी हो सकता है राजनीतिक विस्फोट

बिहार कांग्रेस फिलहाल बदलाव के दौर से गुजर रही है। पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी में जुटी है, लेकिन आंतरिक कलह की तस्वीर भी कई मौकों पर देखी जा रही है।

बिहार कांग्रेस फिलहाल बदलाव के दौर से गुजर रही है। पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी में जुटी है, लेकिन आंतरिक कलह की तस्वीर भी कई मौकों पर देखी जा रही है। हालांकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली जीत से कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने जब सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को बिहार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी, तब यह कहा जा रहा था कि कांग्रेस अब बिहार में अपनी खोई जमीन तलाश करेगी। इसके बाद जिला अध्यक्षों की सूची जारी की गई।
इसके बाद विधायक दल के नेता पद से अजीत शर्मा को हटा दिया गया और नए नेता शकील अहमद खान बनाए गए हैं। हालांकि नए नेता के चुनाव के दौरान बैठक में आधे से अधिक यानी 11 विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया और पार्टी में कलह के संकेत दे दिए। कांग्रेस के नेता हालांकि इस मामले में ज्यादा खुलकर नहीं बोलते, लेकिन वे इसे सर्वसम्मति का फैसला बताते हैं। कांग्रेस के इस बदलाव को लेकर कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता एक ही जाति भूमिहार से आते हैं, इस कारण बदलाव होना तय था।
इधर, जिला अध्यक्षों की सूची में भी सवर्ण समाज को ज्यादा हिस्सेदारी दी गई। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि विधायक दल के नेता के बदलाव से ज्यादा प्रदेश अध्यक्ष से नाराजगी है। वैसे, कहा जा रहा है कि बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी में बदलाव लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष द्वारा कमिटी की घोषणा अब तक नहीं किया जाना भी पार्टी में सबकुछ ठीक होने की पुष्टि नहीं कर रहा है।

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