पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी है। लेकिन इस धन का उपयोग वित्तीय व्यवस्था को ठीक करने में किया जाना चाहिए। ना कि वित्तीय घाटे को पूरा करने या सरकार के खर्च का वित्त पोषण करने में। उन्होंने गुरुवार को कहा कि आर्थिक सिद्धांत कहते हैं कि बचत का उपयोग मौजूदा खर्च के लिए नहीं करना चाहिए, बल्कि दीर्घावधि निवेश के लिए किया जाना चाहिए।
अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा, ‘‘यदि इस पूंजी भंडार का उपयोग घाटे को पूरा करने में किया जाता है तो यह आरबीआई को बर्बाद करने सरीखा होगा और मुझे इससे गहरा असंतोष और निराशा होगी।’’ अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास भारी मात्रा में पूंजी भंडार है लेकिन इसका उपयोग वित्त व्यवस्था ठीक करने में किया जाना चाहिए ना कि घाटे को पूरा करने या सरकार के खर्च का वित्त पोषण करने में। उन्होंने कहा, ‘‘ और यह काम भी समन्वय से होना चाहिए, ना कि विपरीत तरीके से।’’
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अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि सरकार अपने गतिरोधों (केंद्रीय बैंक के साथ) की पहचान के लिए एक समिति का गठन कर सकती है, जो इस विश्वास पर साझा मत रखे कि आरबीआई के पूंजी भंडार का उपयोग घाटे को पूरा करने के लिए नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि आरबीआई के पास 9.59 लाख करोड़ रुपये का पूंजी भंडार है। ऐसी खबरें रही हैं कि सरकार इसका एक तिहाई हिस्सा लेना चाहती है।
रिजर्व बैंक के सदस्य स्वामीनाथन गुरुमूर्ति के बयान को लेकर अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह उन लोगों में से हैं जो नई वैकल्पिक धारणाओं को व्यक्त कर रहे हैं। मेरा मानना है कि एक अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए हमें उसके साथ जुड़ना चाहिए। मेरे साथ, हम सभी को उनके दृष्टिकोण के साथ जुड़ना होगा। मेरा वादा है मैं उसके साथ जुड़ंगा।’’