नई दिल्ली, (पंजाब केसरी):दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में सेकंड हैंड वाहनों के शोरूम संचालित करने वाली कार 24 कंपनी की ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। और सी गेट फैसिलिटी मैनजमेंट कंपनी के पक्ष में दिए गए ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है। ट्रिब्यूनल ने कार 24 को 1 करोड़ 13 लाख से अधिक की राशि का भुगतान ब्याज सहित करने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के खिलाफ ही कार 24 ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जस्टिस विभू बाखरू ने ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि सी गेट कंपनी ने कार 24 कंपनी की ओर से हुए एग्रीमेंट को रद्द करने के अंतिम दिन तक अपनी सेवाएं दी इसलिए कार 24 कंपनी उन कर्मचारियों और सेवाओं के बदले दिए जाने वाले भुगतान से इनकार नहीं कर सकती है। बेंच ने कहा कि कार 24 ने उसकी सेवाओं का लाभ उठाया, ऐसे में सी गेट कंपनी दी गई सेवाओं के बदले भुगतान का अधिकार रखती है। बेंच ने ट्रिब्यूनल के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कार 24 की अपील को खारिज कर दिया।
ये है मामला
सेकेंड हैंड वाहन खरीदने और बेचने के बढ़ते कारोबार के बीच कार 24 कंपनी ने देशभर में अपने कार्यालय और शोरूम स्थापित किए। इन कार्यालयों में कर्मचारी उपलब्ध कराने के साथ ही सुरक्षा, सेवा व्यवस्था, हाउसकीपिंग और अन्य संविदा कर्मचारियों की सेवा के लिए उसने सी गेट कंपनी के साथ 9 फरवरी 2016 को एक एग्रीमेंट किया। इस एग्रीमेंट के अनुसार सुरक्षा प्रदान करने के लिए कंपनी ने अपने कर्मचारी कार 24 के कार्यालयों में नियुक्त किए। प्रतिमाह इन कर्मचारियों की सेवाओं के बदले कार 24 कंपनी लाखों में भुगतान करती रही। लेकिन कुछ विवाद के चलते कार 24 ने दायित्वों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए सितंबर 2017 से सी गेट कंपनी का भुगतान करना बंद कर दिया। इसके चलते सी गेट कंपनी अपने कर्मचारियों का वेतन, पीएफ और ईएसआई के लिए भुगतान करने में विफल रही जिसके चलते उसकी छवि को भी नुकसान पहुंचा। इसके चलते ही सी गेट कंपनी ने नवंबर 2017 ऑर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के समक्ष सितंबर, अक्टूबर, नवंबर 2017 के तीन माह और दिसंबर 2017 के 7 दिन उसके द्वारा दी गई सेवाओं के लिए बकाया भुगतान का दावा किया। ट्रिब्यूनल ने दावे को स्वीकार करते हुए 1 करोड़ 13 लाख 32 हजार 16 रुपए की राशि 18 फीसदी वार्षिक दर से ब्याज सहित चुकाने के कार 24 को आदेश दिए थे।