सरकार का ध्यान 200 रुपये के मामूली पेंशन अंशदान की ओर आकर्षित करने और 65 वर्ष और उससे अधिक की उम्र के नागरिकों को सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत लाने की मांग को लेकर देशभर के वरिष्ठ नागरिक रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे।
रैली का आयोजन एनजीओ ‘हेल्पएज इंडिया’ और ‘पेंशन परिषद’ के बैनर तले होगा। यह करीब 200 नागरिक संगठनों का एक नेटवर्क है।
पेंशन परिषद से निखिल डे ने बताया, ‘‘सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा योजना की मांग को लेकर 16 राज्यों से आये 10,000 से अधिक वरिष्ठ नागरिक संसद की ओर मार्च करेंगे। हम चाहते हैं कि न्यूनतम पारिश्रमिक का 50 प्रतिशत पेंशन राशि के तौर पर दिया जाए, जो करीब 2,500 रुपये प्रति महीने होता है और इसे महंगाई दर से भी जोड़ा जाए ।’’
जल्द खत्म होगा पेंशन का इंतजार, खुलेंगे आवेदन
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा योजना (एनएसएपी) को लागू किया है जिसके तहत यह 60 साल से ज्यादा की उम्र के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिये राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना चलाई जा रही है।
आयोजकों ने दावा किया कि वर्ष 2006 में योजना के लिये बजट का आवंटन 1,100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर मौजूदा वर्ष में 6,564 करोड़ रुपये कर दिया गया, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से हर महीने प्रति पेंशनर 200 रुपये का योगदान पिछले 10 साल से जस का तस बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि नेपाल, बोलिविया, लेसोथो, बोत्सवानिया और इक्वाडोर जैसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों ने भारत की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों के लिये बेहतर सामाजिक पेंशन योजनाएं सुनिश्चित की हैं।
हेल्पएज इंडिया के सीईऔ मैथ्यू चेरियन ने कहा कि केन्द्र इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत 200 रुपये प्रतिमाह देता है और राज्य सरकारें भी अपनी तरफ से योगदान करती हैं। अलग-अलग राज्यों में योगदान की यह राशि अलग-अलग है। बिहार में यह 200 रुपये प्रति माह तो गोवा, तमिलनाडु और दिल्ली में 1,800 रुपये प्रतिमाह है।
जाने माने अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक ने कहा कि पेंशन को बुजुर्गों पर एहसान समझा जाता है जो हमारे समाज की सामंतवादी सोच दर्शाता है।