नयी दिल्ली : रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि सरकारी नौकरी में काम कैसा भी, नौकरी सुरक्षित रहने का भाव उसके प्रति आकर्षण का मुख्य कारण है। उनका कहना है कि सरकारी नौकरियों में आवेदनकों की भरमार को देश में रोजगार के अवसरों की कमी का पैमाना नहीं माना जाना चाहिए। उद्योग मंडल सीआईआई के रोजगार और आजीविका पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए गोयल ने यह बात कही। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कार्यशाला को संबोधित किया। दोनों मंत्रियों ने कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल में पर्याप्त रोजगार दिये हैं। लेकिन आंकड़े के स्रोत हैं, वे इस प्रवृत्ति को पर्याप्त तरीके से नहीं पकड़ पाये। जावड़ेकर ने कहा कि जो लोग अपनी रूचि के अनुसार काम नहीं कर पाते हैं, उन्हें ‘बेरोजगार’ नहीं माना जा सकता।
रेलवे का उदाहरण देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि विभाग में कुछ पदों के लिये 1.5 करोड़ आवेदन मिले। इस प्रकार का आंकड़े का उपयोग प्राय: उच्च बेरोजगारी दर को रेखांकित करने के लिये किया जाता है। गोयल ने कहा, ‘‘परंपरागत भारतीय समाज में सरकारी नौकरियों का आकर्षण कहीं ज्यादा है। लोगों को लगता है कि अगर उन्हें सरकारी नौकरी मिली, उनका जीवन पूरी तरह सुरक्षित है। वे स्थायी कर्मचारी हैं और अगर उन्होंने कोई दुराचरण भी किया और यह भी पाया गया कि वे काम में कच्चे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यूनियन उसका ध्यान रखेगी। यह वास्तविकता है।’’ हालांकि मंत्री ने रेखांकित किया कि रोजगार के वैकल्पिक अवसर बढ़े हैं और नये क्षेत्र स्व-रोजगार के लिये प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसे रोजगार आंकड़ों में शामिल नहीं किया जा रहा।
उन्होंने कहा कि सरकारी प्रणाली में बदलाव लाने और उसे उन्नत बनाने की जरूरत है। सरकारी में मूल्यांकन की प्रक्रिया में जिसका आकलन किया जाता है, उसे उस आकलन को दिखाया जाता है। इससे एक ईमानदार समीक्षा नहीं हो पाती। गोयल ने कहा, ‘‘जो व्यवस्था है, उसमें मुझे पूरे साल किसी के साथ काम करना है और मैं उसका मूल्यांकन करता हूं और उसे वापस देता हूं। यह नीचे तक जाता है। ऐसे में मैं उसमें क्या लिख सकता हूं? मुझे उसी व्यक्ति के साथ पूरे साल काम करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझसे उम्मीद की जाती है कि मैं ईमानदारी से कर्मचारी का आकलन करूं और उसे सौंपू तथा उसके साथ आगे भी काम करता रहूं एवं उससे बेहतर काम लूं। यह ऐसी चीज है जिसपर फिर से विचार करने की जरूरत है।’’ जावड़ेकर ने यह भी कहा कि सही आंकड़े एकत्रित करने की जरूरत है और फिलहाल उन्हीं को शामिल किया जाता है जो संगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘असंगठित क्षेत्र से कोई आंकड़ा नहीं लिया जाता। कई लोग अपना काम करते हैं। बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जो अपनी रूचि के मुताबिक काम नहीं करती। क्या वे बेरोजगार हैं?इस मामले में कई पहलु है जिस पर गौर किये जाने की जरूरत है।’’ मानव संसाधन मंत्री ने भी कहा कि सरकारी नौकरी के लिये जो आकर्षण है, उसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह पता लगाना है कि आखिर क्यों एमए पास सरकार में सफाई कर्मियों के लिये भी आवेदन देते हैं?’’ इस पर रेल मंत्री ने कहा, ‘‘क्या इसका कारण अवसरों की कमी है या सरकारी नौकरी को बहुत सुरक्षित और स्थायी माना जाना है, भले ही आप कैसे भी कार्य करें…।’’