दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के “बिना लक्षण वाले और पूर्व-लक्षण वाले मरीजों” को कोरोना जांच से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर दिल्ली सरकार और आईसीएमआर से जवाब मांगा है। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 22 जून को होगी।
ख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने पद्म श्री विजेता और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल और रेणु गोस्वामी की दो अलग-अलग लेकिन एक जैसी प्रकृति की याचिकाओं पर अधिकारियों को यह नोटिस जारी किया।
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के के अग्रवाल ने दिल्ली सरकार की कोविड-19 की जांच के लिए दो जून को घोषित की गई नीति को चुनौती दी थी, जिसके तहत “बिना लक्षण वालों और पूर्व-लक्षण वाले मरीजों” को जांच से बाहर रखा गया था। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा कि स्वास्थ्य जांच हर नागरिक का मूलभूत अधिकार है।
दूसरी याचिका में रेणु गोस्वामी ने भी दो जून के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस मामलों की तेजी से बढ़ती संख्या के बावजूद कोविड-19 जांच का दायरा सीमित किए जाने की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं।