नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा दलित कार्ड खेले जाने के बीच राष्ट्रपति पद की विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज कहा कि राष्ट्रपति के पद को राजनीति के तंग दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। श्रीमती कुमार ने निर्वाचक मंडल के सदस्यों को चुनाव में समर्थन के लिए लिखे गये पत्र में कहा है राष्ट्रपति द्वारा ली जाने वाली संविधान की रक्षा की शपथ हमारे लोकतंत्र का मेरुदंड है। न्याय पाने के लिए मैं और मेरे जैसे अनगिनत व्यक्ति संविधान का आह्वान करते हैं। जाति धर्म आदि से ऊपर उठकर इसने हमारा मार्गदर्शन किया है। संविधान ने राष्ट्रपति के पद की कानून बनाने की अंतिम कसौटी के रूप में व्याख्या की है। अत: इस पद को राजनीति के तंग दायरे से बाहर रखना नितान्त आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह सौभाज्ञ की बात है कि वह देश के दो अत्यंत विलक्षण संघर्षों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी रही हैं। पहला जाति व्यवस्था जिससे मुक्ति का संघर्ष आज भी जारी है और दूसरा स्वतंत्रता के बाद के राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां हैं जो अभी शेष हैं। उन्होंने कहा कि उनकी भावनाएं और विचार तथा कार्य इन दोनों संघर्षों से प्रभावित हैं।
श्रीमती कुमार ने कहा है कि देश के महान नेता चाहे वे किसी भी दल के हों, वे बचपन से ही उनके प्रेरणाह्मोत रहे हैं और उन्होंने उनके जीवन से कुछ न कुछ सीखने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा जब से मैं सार्वजनिक जीवन में आयी हूं मुझे यह देखकर अपार प्रसन्नता हुई है कि मतभेदों के बावजूद शोषित वर्ग के अधिकारों और समावेशी समाज बनाने के लिए हम एक हो जाते हैं।पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले कुछ दिनों का घटनाक्रम निस्संदेह इतिहास के पन्नों में अंकित होगा कि 17 मुख्य दलों ने एक स्वर में राष्ट्रपति चुनाव को सिद्धांतों और मूल्यों की लड़ाई के रूप में लडऩे का निर्णय लिया है। इन दलों ने इस लड़ाई के केन्द में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाकर जो सम्मान दिया है, उसके लिए वह सभी आभारी हैं। निर्वाचक मंडल के सदस्यों से समर्थन की अपील करते हुए उन्होंने कहा है, आपके पास इतिहास रचने का यह अद्वितीय अवसर है। यही वह पवित्र अवसर है, जब अंतरात्मा की आवाज सुनी जानी चाहिए।