संसद के निचले सदन लोकसभा में उपाध्यक्ष पद के लिए चुनावी खींचतान का दौर शुरू होता, इसलिए पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं कराने का संवैधानिक पदाधिकारियों पर आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर केंद्र को अपना जवाब देने के लिए बुधवार को वक्त दे दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा से कहा, ‘‘हम नोटिस जारी नहीं कर रहे…निर्देश लें।’’ पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें लोकसभा अध्यक्ष को इस पद पर चुनाव कराने के लिए ‘‘कोई भी नजदीक की तारीख तय’’ करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। वहीं, याचिकाकर्ता पवन रेले ने कहा कि उपाध्यक्ष का पद दो साल से अधिक समय से खाली है, जो वाकई संविधान के अनुच्छेद 93 का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘उपाध्यक्ष का पद खाली हुए 830 दिन बीत गए हैं। यह बहुत गंभीर मामला है।’’ याचिका में कहा गया है कि उपाध्यक्ष का निर्वाचन नहीं कराने का किसी भी प्राधिकारी को अधिकार नहीं दिया गा है और लोक सभा में कामकाज और प्रक्रिया के नियामों के नियम 8 लोकसभा अध्यक्ष का यह कर्तव्य है कि वह उपाध्यक्ष के चुनाव के लिये तारीख निर्धारित करें। अदालत इस मामले में अब 30 सितंबर को सुनवाई करेगी।