महाराष्ट्र और कर्नाटक में सीमा विवाद - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

महाराष्ट्र और कर्नाटक में सीमा विवाद

देश के कुल 17 राज्य अपने पड़ोसियों से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं।

देश के कुल 17 राज्य अपने पड़ोसियों से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। जमीन का विवाद अक्सर हिंसक संघर्ष में बदलता है। हाल ही में असम और मिजोरम की सीमा पर हिंसक झड़पें हुई थीं और अब महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगांव को लेकर विवाद फिर सामने आया है। दोनों राज्यों की सीमा पर एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र से आने वाली ट्रेनों को पथराव कर नुक्सान पहुंचाया और तनाव के बीच कर्नाटक सरकार ने महाराष्ट्र के मंत्रियों को बेलगांव आने से रोक दिया। अब इस पर सियासत गर्मा गई है। दोनों राज्यों में सीमा विवाद का मामला अब गृहमंत्री अमित शाह के पास पहुंच चुका है। देश में वैसे तो न सिर्फ पूर्वोत्तर बल्कि हिमाचल, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओड़िशा जैसे राज्य भी अपने पड़ोसियों से सीमा को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं। कई और राज्यों में भाषा और जल बंटवारे को लेकर भी विवाद है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में सीमा विवाद वर्षों पुराना है। वर्ष 1956 में भाषायी आधार राज्यों के पुनर्गठन के दौरान महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने मराठी भाषा बेलगावी सिटी, खानापुर, नेप्पानी, नांदगाड़ और कारवार को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी। जब मामला बढ़ा तो केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मेहरचंद महाजन के नेतृत्व में एक आयोग के गठन का फैसला लिया गया। मेहरचंद महाजन ने ही भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय में अहम भूमिका निभाई थी। तब कर्नाटक को मैसूर कहा जाता था। जब आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी थी तब महाराष्ट्र ने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया था। आयोग ने बेलगांव (बेलगावी) को कर्नाटक को देने की सिफारिश की थी।
‘‘कर्नाटक इसके लिए तैयार हो गया था क्यों​कि उसे 247 गांवों वाला बेलगावी मिल रहा था, लेकिन उसे तम्बाकू उत्पादक क्षेत्र निप्पानी और वन सम्पदा वाले क्षेत्र खानापुर को खोना पड़ा था। ये राजस्व दिलाने वाले क्षेत्र थे, लिहाजा कर्नाटक में असंतोष भी था।’’ आयोग ने निप्पानी, खानापुर और  नांदगाड़ सहित 262 गांव महाराष्ट्र को दिए। हालांकि महाराष्ट्र बेलगावी सहित 814 गांवों की मांग कर रहा था। ‘‘जस्टिस महाजन ने गांवों और शहरी क्षेत्रों का दौरा किया। वे समाज में आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के पास गए ताकि मालूम कर सकें वे कौन सी भाषा बोलते हैं और उनके बच्चों की शादियां किन इलाकों में हुई हैं। बेलगावी से पांच किलोमीटर दूर बेलागुंडी गांव को आयोग ने महाराष्ट्र को सौंप दिया था।’’ दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे पर विवाद इतना गहराया कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक से कोई हल नहीं निकला। दोनों राज्य अपनी जगह ना छोड़ने और न ही लेने की नीति पर कायम रहे और इसके चलते ही यह मुद्दा लगातार उठता रहा है।
आज तक यह मुद्दा खत्म नहीं हुआ क्योंकि मराठी लोग अपनी भाषायी पहचान को लेकर संवेदनशील होते हैं। यही कारण है कि भाषा के मुद्दे ने महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों को एकजुट करके रखा है। राजनीतिक दल लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं क्योंकि अगर वो मराठी अस्मिता के मुद्दे नहीं उठाते तो उन्हें वोटों का नुक्सान हो सकता है। कर्नाटक की स्थि​ति इससे बहुत अलग है। मराठी भाषी क्षेत्रों में तीसरी-चौथी पीढ़ी आ चुकी है। युवाओं को इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। यह लोग अपने घरों में मराठी बोलते हैं और बाहर में कन्नड़। 2004 में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके कर्नाटक से 814 गांवों को हस्तांतरित करने की मांग की थी। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने  गर्मागर्म बयानबाजी करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र की एक इंच भी जगह जाने नहीं दी जाएगी। गांवों का मसला हल करना हमारी सरकार की जिम्मेदारी है। 
दरअसल सीमा ​विवाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के इस बयान से भड़का कि महाराष्ट्र के कुछ गांवों को कर्नाटक में शामिल ​किया जाएगा। इसके बाद से ही दोनों राज्यों के नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है। कर्नाटक में भी भाजपा की सरकार है और महाराष्ट्र में भी भाजपा समर्थित शिवसेना से अलग हुए शिंदे गुट की सरकार है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि मराठी स्वा​िभमान को खत्म करने का प्रयास हो रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार भी अपने सियासी तीर चला रही है। सियासी गर्मागर्मी के बीच बेलगाम पूरी तरह से शांत है। महाराष्ट्र से उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने गृहमंत्री अमित शाह को स्थिति से अवगत कराया है। वास्तव में महाराष्ट्र और कर्नाटक के लोगों के बीच संबंध बहुत मजबूत है। कर्नाटक में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं और  चुनावों को सामने रखते हुए ही यह मुद्दा उठाया जा रहा है। जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बेलगाम को पाक अधिकृत कश्मीर करार दिया था और बेलगाम को केन्द्र शासित बनाने की मांग की थी।
असम और मेघालय में सीमा विवाद काफी हद तक सुलझा लिया गया है। लेकिन हरियाणा और हिमाचल में, लद्दाख और हिमाचल में चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा में, आंध्र और ओ​ड़िशा में सीमा विवाद जारी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्यों के बीच विवादों को कैसे सुलझाया जाए। अभी भी ऐसी जमीन है जो सरकारी आदेश पर नक्शे में चिन्हित नहीं है। पूर्वोत्तर में ऐसी काफी जमीन है वहां सरकार की व्यवस्था और कवायली परम्पराओं के बीच रास्ता तलाशना होगा। आंतरिक विवादों को राज्य सरकारें बातचीत के माध्यम से ही हल कर सकती हैं, लेकिन इसके ​लिए जनभावनाओं का सम्मान भी ​किया जाना जरूरी है। केन्द्र सरकार मददगार बनकर राज्य सरकारों में तालमेल कायम कर सकती है। अपने ही देश में राज्यों के बीच विवाद किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। गृह मंत्रालय हस्तक्षेप कर मामले को सुलझाने के ​लिए आगे बढ़ेगा तब तक दोनों राज्यों को सहनशीलता से काम लेना होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 + 12 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।