कोराेना महामारी के भयंकर विस्फोट के बीच लोगों की उम्मीदें किसी कारगर वैक्सीन पर लगी हुई हैं। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी को लेकर भारतीयों को काफी उम्मीदें हैं और रूस पर भरोसा भी है। इसी बीच आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और दवा कम्पनी ऐस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविड-19 टीके का परीक्षण रुकने से लोगों की उम्मीदों को काफी झटका लगा है। भारत में भी सीरम इंस्टीच्यूट की कोविड-19 वैक्सीन ‘कोविड शील्ड’ का ट्रायल रोक दिया गया है। डीसीजीआई ने सीरम इंस्टीच्यूट को नोटिस दिया था और पूछा था कि वैक्सीन ट्रायल की ताजा अपडेट उसे नहीं दी गई, अगर कम्पनी कोई जवाब नहीं देती तो यह मान लिया जाएगा कि कम्पनी के पास जवाब देने के लिए कुछ नहीं है। सीरम इंस्टीच्यूट अब तक देश में करीब सौ लोगों काे यह वैक्सीन लगा चुका है।
जहां तक आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का ट्रायल अस्थायी रूप से रोके जाने का सवाल है, बताया गया है कि वैक्सीन लेने वाले एक वालंटियर को किसी अस्पष्ट बीमारी के लक्षण पैदा होने लगे थे, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी प्रभावित हुई। अब इस बात की जांच की जा रही है कि वालंटियर को यह बीमारी वैक्सीन की वजह से हुई या किसी और वजह से। वैक्सीन का दोबारा ट्रायल कब शुरू होगा, इसके बारे में कोई टाइमलाइन नहीं है। वैसे तो ट्रायल्स के दौरान ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं लेकिन वैक्सीन का ट्रायल कुछ समय के लिए रुकने से सिर्फ इसके उत्पादन के समय में देरी होगी।
दुनिया भर की कई कंपनियां वैक्सीन बनाने और अगले वर्ष की शुरूआत तक लांच करने की जल्दी में कुछ रेगुलेटरी की प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर रही हैं। इस पर वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने खासी चिंता जताई है। आमतौर पर एक वैक्सीन को सुरक्षा मानकों से गुजरने के बाद मार्किट तक आने में सालों का वक्त लग जाता है लेकिन कोरोना वैक्सीन को लेकर जो होड़ मची हुई है, उससे इसके सुरक्षा मानकों के परीक्षण पर सवाल उठना स्वाभाविक है। कोरोना वैक्सीन का ट्रायल रोक दिए जाने के बाद व्हाइट हाऊस की कोरोना टास्क फोर्स में शामिल अमेरिका के शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों ने ऐलान किया कि अब कोविड-19 वैक्सीन तभी लांच होगी जब वह पूरी तरह से सुरक्षित होगी। पहले यह कहा जा रहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चुनावों के चलते सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन साबित होने से पहले ही अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन पर इसको जल्दबाजी में मंजूरी देने के लिए दबाव डालने वाले थे। वैक्सीन लोगों के बीच लाने के लिए कानूनी प्रक्रिया तक को बाइपास करने की तैयारी की जा चुकी थी, लेकिन अमेरिका सरकार के संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने इन सभी अटकलों को खारिज कर दिया कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों से पहले वैक्सीन को बाजार में लाया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डा. सौम्या स्वामीनाथन ने क्लीनिकल ट्रायल में आई रुकावट को दुनिया के लिए यह समझने का अवसर बताया कि अनुसंधान में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। मनुष्यों पर अभी तक हुए परीक्षण के आंकड़े काफी अच्छे हैं और उनमें कुछ देर के लिए इस रोग से लड़ने की क्षमता विकसित हो रही है। वैक्सीन लोगों को रोग से बचाने में सक्षम है या नहीं, यह तय करने के लिए हजारों-लाखों लोगों पर परीक्षण करने की जरूरत है। दुनिया काे परिणाम पाने के लिए थोड़ा धैर्य रखना होगा। रुकावट के बावजूद उम्मीद की जानी चाहिए कि वर्ष के अंत तक रेग्युलेटरी अप्रूवल के लिए डेटा हासिल किया जा सकेगा।
अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और भारत समेत 60 लोकेशंस पर इस टीके का फेज थ्री क्लीनिकल ट्रायल चल रहा था। भारत में भी जब वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी तो दुनिया के अन्य देशों में हुए ट्रायल और भारत में हुए ट्रायल के डेटा को मिलाकर देखा जाएगा। किसी भी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल काफी अहम होता है। पहले और दूसरे चरण की स्टडी में हर एक व्यक्ति की जांच की जाती है और देखा जाता है कि उस व्यक्ति को कहीं पहले से कोई और बीमारी तो नहीं है, लेकिन जब तीसरे फेज का ट्रायल होता है तो उसमें सामान्य जनता को चुना जाता है। उनमें पहले से लोगों की जांच नहीं की जाती। अगर किसी को कोई बीमारी रही है, उसे दिक्कत आ जाए तो यह मान लिया जाता है कि ऐसा वैक्सीन की वजह से है। तब डेटा एंड सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड की समिति सारे आंकड़ों की जांच करती है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई निर्भर होती है। अभी सारे वैक्सीन विकास के चरण में हैं। दुनिया में केवल तीन वैक्सीन को मंजूरी मिली है। इसमें रूस की स्पूतिनिक और दो चीनी वैक्सीन हैं। ये तीनों वैक्सीन इमरजैंसी इस्तेमाल के लिए हैं। लम्बी अवधि में सुरक्षित वैक्सीन का आना अभी बाकी है। भारत में जायडस भारत बायोटेक की वैक्सीन है, जिसे फेज दो के ट्रायल की मंजूरी दी गई है। वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी चरण में देखा जाता है कि इम्युनिटी और सेफ्टी कितनी देर तक रहती है। कुछ रिएक्शन जल्द होते हैं, कुछ में 8 महीने तक का समय लगता है। लोगों के बीच दवा को लाने से पहले कायदे-कानूनों का पालन तो होना ही चाहिए।
अब जबकि सभी नए सिरे से अपने व्यवसाय शुरू कर रहे हैं तब आपको सावधानियां तो बरतनी ही होंगी। जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती तो मास्क, साफ-सफाई और दो गज की दूरी, इन सभी को अपनाना ही होगा। अभी वैक्सीन आने में वक्त लगेगा फिर चाहे वो किसी भी देश की क्यों न हो।