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फटाफट लोन ऐप्स पर​ शिकंजा

फटाफट लोन ऐप के शिकंजे में फंसकर कई लोग किस तरह बर्बाद हो चुके हैं, उसके कई उदाहरण हमारे सामने हैं। कुछ माह पहले भोपाल में इस तरह के कर्ज जाल में फंसकर एक पूरा हंसता-खेलता परिवार खत्म होने की खबर आई थी। युवा दम्पति ने अपने दो मासूम बच्चों को कोल्ड​ ड्रिंक में सल्फास मिलाकर पिलाई और उसके बाद उन दोनों ने फांसी लगाकर आत्महत्या की। इस तरह के ऐप पहले तो बिना शर्त के लोन देने का वादा करते हैं और जैसे ही कोई इनके जाल में फंसता है तो यह भारी-भरकम ब्याज लगाकर कई गुणा पैसा वसूलते हैं।
इस तरह के लोन ऐप के झांसे में ज्यादातर जरूरतमंद लोग आते हैं। ये ऐप बिना किसी कागजी कार्रवाई और बिना केवाईसी के लोन देने का वादा करते हैं तो लोग आसानी से इन पर भरोसा कर लेते हैं। साथ ही लोन देते समय आसान और फास्ट प्रोसेस के नाम पर यह ऐप यूजर्स की जानकारी के बिना उनके मोबाइल से कॉन्टैक्ट डिटेल, मैसेज और गैलरी तक की जानकारी की स्वीकृति ले लेते हैं। यहीं से असली खेल शुरू होता है। दरअसल, लोन ऐप यूजर्स की कॉन्टैक्ट डिटेल और गैलरी का इस्तेमाल बाद में ब्लैकमेल करने के लिए करते हैं और ऐसे में इनका शिकार हुए लोगों के पास दोगुना-चार गुना लोन चुकाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता। जरूरतमंद को लोन देने के नाम पर फ्रॉड किया जा रहा है। पहले लोगों को सस्ते लोन का लालच दिया जाता है और फिर पैसों की वसूली की जाती है। कई बार लोगों से कई गुना राशि वसूली जाती है। पैसे नहीं देने पर फोटो वायरल करने और दोस्तों,रिश्तेदारों में बदनाम करने की धमकी दी जाती है।
आत्महत्या का एक केस ऐसा भी आया जिसमें मृतक के सुसाइड नोट से पता चला कि लोन की किश्त जमा नहीं कराने पर सोशल मीडिया के डीपी पर लगी फोटो को अश्लील बनाकर उसे ब्लैकमेल किया जा रहा था और रिक्वरी वालों ने उसके बॉस, रिश्तेदार आैर अन्य परिजनों को भी डिटेल भेज दी थी। ऐसे में यह मामला लोन का कम, स्कैम और साइबर फ्रॉड का ज्यादा लगता है। बार-बार बैंक और सम्बन्धित विभाग लोगों के लिए एडवाइजरी जारी करते हैं। इसके बावजूद लोग इन ऐप का शिकार हो रहे हैं। फ्रॉड के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने अपने प्लेटफॉर्म पर फ्रॉड लोन ऐप का विज्ञापन ना करने की चेतावनी दी है। साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर किसी तरह का स्कैम होता है तो फिर विज्ञापन देने वाला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिम्मेदार होगा। मेटा के फेसबुक, इंस्टाग्राम और गूगल जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को जारी अपनी सलाह में मंत्रालय ने उनसे सात दिनों के भीतर निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा।
सरकार सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को ऐसे विज्ञापनों की मेजबानी से रोकने के लिए मौजूदा सूचना प्राद्योगिकी (आईटी) नियमों में संशोधन करने पर भी काम कर रही है। एक बार ऐसा हो जाने पर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे विज्ञापनों को दिखाने पर कानूनी खतरे से बच नहीं सकता है। एडवाइजरी में कहा गया है, “मध्यस्थों, प्लेटफॉर्मों को, यूजर्स को फ्रॉड करने और गुमराह करने वाले लोन और सट्टेबाजी ऐप्स के किसी भी विज्ञापन को अनुमति न देने के लिए अतिरिक्त उपाय करने चाहिए, जिसके परिणामों की पूरी जिम्मेदारी बिचौलियों, प्लेटफॉर्मों की होगी।”
आईटी मंत्रालय आरबीआई और वित्त मंत्रालय दोनों के साथ विचार-विमर्श करके लोन ऐप्स से निपटने के लिए एक मजबूत तंत्र पर काम कर रहा है, ​जिसे जल्द लागू किया जाएगा। इससे पहले रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने लोन ऐप का भुगतान करने में देरी पर लगाए जाने वाली पेनल्टी को लेकर एक विस्तृत गाइड लाइन जारी की थी। लोन ऐप्स ही नहीं कई प्राइवेट बैंक भी लोन पर दंडात्मक शुल्क लगाते रहे हैं। सरकार लोगों को फटाफट लोन ऐप्स पर भरोसा न करने और ऐसे किसी भी ऐप्स को इंस्टाल करने से पहले उसकी विश्वसनियता की जांच करने के संबंध में लोगाें को जागरूक करती रहती है। बिना किसी दस्तावेजों के लोन देने वाले ऐप आपके स्मार्ट फोन का एक्सेस प्राप्त करते हैं। ऐसे में यह ऐप बहुत ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। आईटी मंत्रालय और आरबीआई तो अपना दायित्व निभा रहा है लेकिन लोगों को सतर्क रहना भी बहुत जरूरी है। बेहतर यही होगा कि लोग इस तरह के ऐप से लोन लेने से बचें।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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