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मोदी का मिशन लाइफ

धरती के बढ़ते तापमान और गम्भीर होते जलवायु संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी दुनिया जूझ रही है। भारत भी जलवायु संकट से निपटने के लिए गम्भीर प्रयास कर रहा है

धरती के बढ़ते तापमान और गम्भीर होते जलवायु संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी दुनिया जूझ रही है। भारत भी जलवायु संकट से निपटने के लिए गम्भीर प्रयास कर रहा है और इस मामले में भारत की उपलब्धियां काफी बेहतर रही हैं। जलवायु परिवर्तन आर्थिक और सामाजिक विकास की राह में बड़ी रुकावट है। अगर इससे अभी नहीं निपटा गया  पूरी दुनिया के लिए गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस की मौजूदगी में मिशन लाइफ का आगाज किया। मिशन लाइफ का आगाज कर प्रधानमंत्री ने न केवल दुनिया को बताया कि क्लाईमेंट चेंज की दिशा में भारत कितना काम कर रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के साथ जिन्दगी जीने  का मंत्र भी दिया। उन्होंने संदेश दिया कि जीवन शैली में थोड़ा सा परिवर्तन कर हम पर्यावरण की क्षति होने से बचा सकते हैं। आज के दौर में भारत प्रगति भी और प्रकृति भी का उत्तम उदाहरण है। 
भारत संयुक्त राष्ट्र को आश्वस्त कर चुका है कि 2030 तक हमारा देश कार्बन उत्सर्जन की मौजूदा  मात्रा को 33-35 फीसदी घटा देगा। लेकिन असल समस्या उन देशों के साथ है जो मशीनी विकास और आधुनिकीकरण के चक्र में दुनिया को कार्बन उत्सर्जन का दम घोटू वातावरण दे रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से हो रहे बदलाव लोग अपने पास महसूस कर रहे हैं। पिछले कुछ दशकों में हमने इस दुष्प्रभाव को बड़ी तेजी से झेला है। कार्बन की बढ़ती मात्रा दुनिया में भूख, बाढ़, सूखा जैसी विपदाओं को न्यौता देती है। इससे जूझना दुनिया की जिम्मेदारी है। भारत में मौजूद प्राकृतिक संसाधन व पारम्परिक ज्ञान इसका सबसे सटीक निदान है। इसमें कोई संदेह नहीं कि मनुष्य ने प्रकृति से जबरदस्त खिलवाड़ किया है। कार्बन उत्सर्जन घटाने में सबसे बड़ी बाधा वाहनों की बढ़ती संख्या, मिलावटी पैट्रो पदार्थों की बिक्री, हरित क्षेत्रों का कम होना और बढ़ता शहरीकरण जिम्मेदार है। 
आबादी लगातार बढ़ रही है और कंकरीट के जंगल बसाए जा रहे हैं। मनुष्य ने अपने जीवन को सहज बनाने के लिए एयर कंडीशन, रैफ्रीजरेटर और अन्य इलैक्ट्रोनिक उपकरणों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिससे धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। दक्षिण एशिया में तेज गर्मी के बाद इस वर्ष यूरोप भी अधिक तापमान से जूझा। ब्रिटेन में तो पारा ऐतिहासिक रूप से 40 डिग्री से आगे जा चुका है। भारत में गर्मी के मौसम में असहनीय लू और बीते कुछ समय में देश के पूर्वी हिस्से में आई भारी बाढ़ बिगड़ती जलवायु स्थिति की ओर इशारा करती है। अन्तर्राष्ट्रीय एजैंसियां परम्परागत ईंधन के नाम पर दबाव बनाती रहती हैं, जबकि विकसित देशों में कार्बन उत्सर्जन के अन्य कारण ज्यादा घातक है।
पेड़ प्रकाशन संश्लेषण के माध्यम से हर साल कोई सौ अरब टन यानी पांच फीसदी कार्बन वातावरण में पुनर्चक्रित करते हैं। अमेरिका सर्वाधिक 1.03 करोड़ किलो टन से ज्यादा कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित करता है, जो वहां की आबादी के अनुसार प्रति व्यक्ति 7.4 टन है। उसके बाद कनाडा (प्रति व्यक्त 15.7 टन) और रूस (प्रति व्यक्ति 12.6 टन) का स्थान है। जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया आदि औद्योगिक देशों में भी कार्बन उत्सर्जन 10 टन प्रति व्यक्ति से ज्यादा ही है। भारत महज 20.70 लाख किलो टन यानी प्रति व्यक्ति 1.7 टन कार्बन डाईऑक्साइड ही उ​त्सर्जित करता है। प्राकृतिक आपदाएं देशों की भौगोलिक सीमाएं देखकर नहीं आती हैं, चूंकि भारत नदियों का देश है और अधिकतर ऐसी नदियां पहाड़ों पर बर्फ पिघलने से बनती हैं, सो हमें हरसम्भव प्रयास करने ही ​चाहिए। 
कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम करने के​ लिए भारत स्वच्छ ऊर्जा को भी बढ़ावा दे रहा है। सौर ऊर्जा क्षेत्र में सरकार ने  कई ठोस कदम उठाए हैं। भारत में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की असीम सम्भावनाएं हैं और मोदी सरकार स्वच्छ ऊर्जा की प्रगति के लिए लगातार काम कर रही है। जीवाश्म आधारित ईंधन के आयात पर होने वाले खर्च को कम करने में भी इससे बड़ी मदद मिलेगी। इस वर्ष के अंत तक स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को 175 मेगा वाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। गुजरात का एक गांव मुधेरा देश का पहला ऐसा गांव बन गया है जहां कुल बिजली जरूरत सौर ऊर्जा से पूरी हो रही है। यह गांव अभी तक सूूर्य मंदिर के लिए विख्यात था और अब यह सौर ऊर्जा चालित के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इसके साथ-साथ लोगों को भी प्राकृतिक तरीकों पर आधारित रहन-सहन अपनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई मिशन लाइफ योजना का अर्थ जलवायु के लिए जीवनशैली है। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर मैक्रो उपायों और कार्यों को लागू करके जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है।
मिशन लाइफ में छोटी-छोटी चीजों के प्रति भी जागरूकता पैदा की जाएगी कि पहले प्लास्टिक के बैग की जगह कपड़ों के थैलों का प्रयोग करें और ट्रै​फिक सिग्नल पर गाड़ी का इंजन बंद रखें, लीक हो रहे नल को ठीक करें और अन्न का आदर करें। लोग छोटे-छोटे कार्य के लिए वाहन का इस्तेमाल न करें और पैदल चलकर पसीना बहायें। इस अभियान के पीछे का विचार यह है कि हम ऐसी जीवन शैली अपनाएं जो हमारी धरती के अनुकूल हो। मिशन लाइफ अतीत से सीखता है। वर्तमान में संचालित होता है और भविष्य पर ध्यान केन्द्रित करता है। आइये मिशन लाइफ  सफल बनाने के लिए हम भारतीय जीवन शैली को अपनाएं। प्रकृति से खिलवाड़ बंद करें। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और उनकी सुरक्षा करें तभी हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपट सकते हैं। भारत द्वारा उठाए गए कदमों को तारीफ तो पूरी दुनिया कर रही है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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