सरहदी इलाकों की आबादी ! - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

सरहदी इलाकों की आबादी !

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन में गृहमन्त्री श्री अमित शाह का राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को यह आगाह करना कि सीमावर्ती राज्यों के सरहदी इलाकों के बदलते जनसंख्या चरित्र पर कड़ी निगाह रखनी जरूरी है

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन में गृहमन्त्री श्री अमित शाह का राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को यह आगाह करना कि सीमावर्ती राज्यों के सरहदी इलाकों के बदलते जनसंख्या चरित्र पर कड़ी निगाह रखनी जरूरी है, बताता है कि यह मामला कितना संजीदा है और इसके तार देश की आन्तरिक व सीमा सुरक्षा से किस प्रखार जुड़े हुए हैं। इस सन्दर्भ में केवल पाकिस्तान की सीमा से लगते राज्यों की सीमाओं के जनसंख्या स्वरूप पर ही निगाह रखने की जरूरत नहीं है बल्कि एेसे राज्यों के सरहदी इलाकों पर भी कड़ी निगरानी रखने की जरूरत होती है जिनकी सीमाएं अन्य राष्ट्रों से भी जुड़ी होती हैं। इनमें बिहार एेसा राज्य है जिसकी नेपाल के साथ खुली सीमाएं हैं। बिहार के सीमांचल जिलों में जिस प्रकार मजहब के आधार पर अतिवादी गति​िवधियाें की गूंज अक्सर होती रहती है उसमें पाकिस्तान परस्त तत्वों की साठगांठ का भी अन्देशा जाहिर किया जाता रहा है। नेपाल व बिहार के मैदानी सीमावर्ती इलाकों में जिस तरह सत्तर के दशक से लेकर अब तक मदरसों व मस्जिदों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती रही है उसे लेकर भी तरह-तरह की आशंकाएं जन्म लेती रही हैं। इन इलाकों से पिछले दिनों ये खबरें भी आई थीं कि सीमांचल के कई जिलों के स्कूलों में बजाये रविवार के शुक्रवार को बच्चों की छुट्टी होती है। इसकी वजह इन जिलों की बढ़ी हुई मुस्लिम आबादी बताई गई थी।
 भारत जैसे पंथ निरपेक्ष राष्ट्र में स्कूली स्तर पर ही इस प्रकार मजहबी रवायत को बालकों में डाल देने का प्रभाव राष्ट्रहितों के विरुद्ध होता है और भविष्य के नागरिकों की राष्ट्रीय मान्यताओं के प्रति निष्ठाओं को कमजोर करता है। लेकिन बिहार के साथ ही दूसरा चिन्ता पैदा करने वाला राज्य उत्तराखंड है जिसके जनसंख्या चरित्र में पिछले तीन दशकों में भारी परिवर्तन हुआ है। सन् 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने से पहले संयुक्त उत्तर प्रदेश कहे जाने वाले राज्य के इस इलाके में एक विशेष मजहब मानने वाले लोगों की जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई और देव भूमि माने जाने वाले गढ़वाल व कुमाऊं इलाकों में मदरसों व मस्जिदों की संख्या में वृद्धि भी दर्ज हुई जिससे पहाड़ों को पवित्र व पूज्य मानने वाले भारतीय संस्कृति के उपासक लोगों को तब पीड़ा हुई जब पर्वतीय क्षेत्रों का सामान्य इलाकों की तरह प्रयोग किया जाने लगा। भोले-भाले पर्वतीय लोगों को ठगने की विद्याएं यहां विकसित होने लगीं और अपने घरों पर कभी ताला न लगाने वाले पहाड़ी ग्रामीणों को कष्ट होने लगा। पर्वतीय क्षेत्रों खास कर उत्तराखंड में इसके कण-कण और कंकर को भी पूजने के साथ पेड़-पौधों से लेकर वनस्पति व पशुओं को भी पूजने का चलन है परन्तु आबादी का चरित्र बदलने की वजह से इन सभी का वाणिज्यिक शोषण बड़े ही फूहड़ तरीके से होना शुरू हो गया। इन सबका सम्बन्ध राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जाकर तब जुड़ जाता है जब राष्ट्रीय पर्वों पर आबादी का एक वर्ग लापरवाह रुख अख्तियार करता है।
 पहाड़ों के हर गांव का अपना एक देवता होता है और सभी ग्रामवासी मिल-जुल कर उसकी अभ्यर्थना ग्राम की भलाई के लिए करते हैं। इसमें भी दुराव देख कर उनकी मनः स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जहां तक बांग्लादेश से लगे राज्यों व म्यामांर से छूते उत्तर पूर्वी राज्यों का सम्बन्ध हैं तो इनमें हमेशा ही अवैध घुसपैठ की आशंका लगी रहती है। भारत में रोहिंगिया मुस्लिमों का प्रवेश इन्हीं रास्तों से हुआ है जो आज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। वैसे यह आश्चर्य का विषय है कि रोहिंगिया मुस्लिम अब से लगभग एक दशक पहले दिल्ली तक कैसे आ गये और जम्मू-कश्मीर तक भी पहुंच गये। वोट बैंक के लालच में राजनीति यदि राष्ट्रीय सुरक्षा तक से समझौता करती है तो उसे राजनीति कैसे कहा जा सकता है ? मगर हम देख चुके हैं कि उत्तर प्रदेश के मुलायम व मायावती राज में इसके पहाड़ी क्षेत्रों की आबादी में किस प्रकार परिवर्तन लाया गया और पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को दबाने के लिए इसे औजार बनाने की कोशिश किस तरह की गई। यही वजह रही कि जब उत्तराखंड राज्य के मुख्यमन्त्री श्रीमान रावत थे तो उन्होंने शुक्रवार के दिन जुम्मे की नमाज के लिए मुस्लिम कर्मचारियों को दो घंटे की विशेष छुट्टी देने की घोषणा तक कर डाली थी मगर भारी विरोध की वजह से बाद में उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। पहाड़ हमारे देव स्थान हैं और इनके हर स्थान का सम्बन्ध हमारे धर्म शास्त्रों से प्रत्यक्ष रूप से है। ये भारतीय अस्मिता के गौरव माने जाते हैं। 
श्री शाह ने सम्मेलन में अपने  सम्बोधन में दो टूक तरीके से कहा कि सभी राज्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा को उच्च वरीयता देनी चाहिए क्योंकि यह देश के युवाओं और राष्ट्र के भविष्य का सवाल है। यह एेसी लड़ाई है जिसे हमें एकजुट होकर एक दिशा में लड़ना है और हर कीमत पर जीतना है अतः सीमावर्ती राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को बहुत सतर्क होकर जनसंख्या परिवर्तन पर निगाह रखनी है। इसकी वजह यह है कि सरहदी इलाकों में जनसंख्या परिवर्तन होते ही उग्रवादी व अतिवादी मजहबी गतिविधियां तेज हो जाती हैं। गृहमन्त्री की यह चेतावनी राष्ट्रीय सुरक्षा को भीतर से मजबूत रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 × 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।