भारत-ब्रिटेन में एफटीए पर बात बढ़ी आगे - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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भारत-ब्रिटेन में एफटीए पर बात बढ़ी आगे

भारत और ब्रिटेन के बीच आगामी कुछ दिनों में मुक्त व्यापार वार्ता समझौते पर सहमति बनने की उम्मीद की जा रही है। दोनों ही देशों में अगले साल आम चुनाव होने हैं और भारत-ब्रिटेन के प्राधिकार चाहेंगे कि इस समझौते को इन आम चुनावों से पहले अमली जामा पहना दिया जाए। अगर ऐसा करने में सफलता मिलती है तो ब्रिटेन में सत्ताधारी पार्टी को अपने मतदाताओं को प्रभावित करने में सहायता मिलेगी। भारत में इसका असर देखने को मिल सकता है। ब्रिटेन के मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी इस करार को लेकर बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं। हालांकि देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के क्रम में वे चाहते हैं कि भारत के साथ एफटीए पर अंतिम सहमति बनने से पहले हर पहलू पर अच्छे से विचार हो ताकि ब्रिटिश हितों को नुक्सान नहीं पहुंचे। अभी दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय व्यापार भारत के पक्ष में झुका है। भारत का निर्यात ब्रिटेन के लिए लगातार बढ़ रहा है जबकि ब्रिटेन से भारत का आयात बढ़ा तो है लेकिन अभी उसकी गति बेहद कम है। अगर मुक्त व्यापार समझौता इस साल के आखिर तक हो जाता है तो इससे दोनों देशों में आर्थिक विकास और रोजगार के मौके को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि आयात-निर्यात के बीच का ये अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। अगर यह समझौता हो जाता है तो भारत आयात-निर्यात के इस अंतर को बढ़ा सकता है।
ब्रिटेन में भारतीय सामान की अच्छी खासी मांग रहती है जिसका दोहन भारतीय व्यापारी कर सकते हैं। अगर एफटीए पर सहमति बन जाती है तो ब्रिटेन को अपनी प्रीमियम कारों, व्हिस्की और कानूनी सेवाओं के लिए भारत जैसे बड़े बाजार में पहुंच बनाने में आसानी होगी। ब्रिटेन 2020 में यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद से ही अपने वैश्विक व्यापार में विविधता लाने के मकसद से नए-नए साझेदारों की तलाश में है और इस लिहाज से भारत का बड़ा बाजार उसके लिए काफी कूटनीतिक मायने रखता है। भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार 2021-22 में 17.5 अरब डॉलर था। 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 20.42 अरब डॉलर हो गया। कन्फेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री के मुताबिक अगर एफटीए हो गया तो ये 2035 तक भारत के साथ व्यापार को 28 बिलियन पाउंड प्रति वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
ब्रिटेन, भारत से मुख्य तौर से रेडीमेड परिधान और कपड़े, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, पैट्रोलियम और पैट्रो रसायन उत्पाद के साथ ही परिवहन उपकरण, मसाले, मशीनरी, फार्मास्युटिकल्स और समुद्री उत्पाद बड़े पैमाने पर खरीदता है। जबकि भारत ब्रिटेन से बहुमूल्य रत्न, अयस्क, धातु कबाड़, इंजीनियरिंग सामान के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, रसायन और मशीनरी खरीदता है। रूस को छोड़ दें तो यूरोपीय देशों में फिलहाल भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार नीदरलैंड्स है और उसके बाद जर्मनी का नंबर आता है। इस मामले में यूनाइटेड किंगडम यूरोप में भारत का तीसरा सबसे बड़ा साझेदार है। भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते में एक ऐसा मुद्दा है जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। ब्रिटेन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि एफटीए में इमीग्रेशन यानी आप्रवासन पर प्रतिबद्धताएं शामिल नहीं होंगी और न ही ब्रिटेन के घरेलू श्रम बाजार तक पहुंच मुहैया कराई जाएगी। इस मसले को यूनाइटेड किंगडम के व्यापार राज्य सचिव केमी बडेनोच ने पहले ही साफ कर दिया है। यूरोपीय देशों में ब्रिटेन को भारत का स्वाभाविक साझेदार बनने के लिये अपने देश के कड़े कानूनों में बदलाव करना होगा।
भारतीय इकाेनाॅमी लगातार ग्रोथ कर रही है और इसके जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद की जा रही है। ब्रिटेन की सुनक सरकार का मानना है कि भारतीय बाजार के दोहन से ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा और ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से बाहर आने पर जो नुक्सान हुआ है उसकी भरपाई की जा सकेगी। भारतीय बिजनेस लॉबी भी इस बातचीत का इंतजार कर रही है क्योंकि इससे उनके लिये ब्रिटेन के दरवाजे अच्छी तरह खुल जाएंगे और ब्रिटेन के साथ-साथ पूरे यूरोप में चीन का मुकाबला करने में आसानी होगी। भारत का यूरोपीय यूनियन के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है। भारत और यूरोपीय यूनियन दोनों चाहते हैं कि इस साल ही मुक्त व्यापार समझौता हो जाए। ऐसे में 2023 का साल भारत के लिए यूरोप के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूती मिलने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।

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