चंडीगढ़ : हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अशोक खेमका को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि वह खेमका की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) से नकारात्मक टिप्पणी हटाए। मामले में अशोक खेमका ने हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा उनकी रष्टक्र में नंबर कम कर नकारात्मक टिप्पणी करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने 12 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था।
खेमका ने हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से वर्ष 2016-17की उनकी एसीआर में दर्ज की गई टिप्पणी को हटाने की मांग की थी। याचिका में खेमका ने कहा था कि खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उनकी एसीआर में उन्हें दस में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की थी कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने तीन साल में 20 से अधिक अधिकारियों के साथ काम किया पर इनमें से कोई भी अधिकारी योग्यता, ईमानदारी, संजीदगी और बुद्धिमत्ता में खेमका के समकक्ष नहीं था।
विज द्वारा खेमका की एसीआर में की गई टिप्पणी को अतिश्योक्तिपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खेमका को दस में से 9 अंक देते हुए उत्कृष्ट (आउटस्टैंडिंग) अधिकारी बताया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा उनकी एसीआर में की गई इसी टिप्पणी को हटवाने के लिए खेमका की याचिका पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा था।
मामले में हरियाणा सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपिंदर सिंह नलवा ने अदालत को बताया कि खेमका की एसीआर में दर्ज की गई एक्सेपटिंग अथॉरिटी द्वारा की गई टिप्पणी कानूनी प्रावधानों के तहत की गई है और एक्सेपटिंग अथॉरिटी के पास किसी भी अधिकारी की एसीआर पर अपना निजी विचार रखने का अधिकार है।
हरियाणा सरकार के जवाब के बाद जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में सोमवार को फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने नकारात्मक टिप्पणी हटाने के निर्देश दिए हैं।