कोरोना वायरस के चलते प्रवासी मजदूरों को हो रही दिक्कतों को लेकर राजनीति लगातार बढ़ती जा रही है। रविवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन लागू कर प्रवासी कामगारों के लिए मुश्किल खड़ी करने का आरोप लगाया।
ओवेसी ने कहा, अनियोजित लॉकडाउन की वजह से महिलाएं अपनी जान खतरे में डालने को मजबूर हुई और प्रधानमंत्री ने उनके लिए कुछ नहीं किया। हैदराबाद सीट से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री के अनियोजित लॉकडाउन की वजह से प्रवासी महिलाएं अपनी जिंदगी खतरे में डालने को मजबूर हुईं और एक हजार किलोमीटर दूर अपने घर तक पैदल चलीं। उन्होंने (प्रधानमंत्री) उनके लिए कुछ नहीं किया।’’
@PMOIndia’s unplanned lockdown forced migrant women to risk their lives & walk home for 1000s of kilometres. He did nothing for them
Many, including our Bhabhi from Gujarat had to face the indignity of husbands who simply fled from marriage. But no relief for them in 6 years
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 31, 2020
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री के मुताबिक उनकी एक उपलब्धि कठोर और सांप्रदायिक कानून है जिसमें पुलिस को मुस्लिम पुरुषों को जेल में डालने की अनुमति मिलती है। इस सरकार की वजह से मुस्लिम महिलाओं को पीटा गया, जेल में डाला गया, विधवा और संतान विहीन बनाया गया। ’’
ओवैसी मुस्लिमों में प्रचलित एक साथ तीन तलाक देने के खिलाफ बनाए कानून का संदर्भ दे रहे थे जिसे दंडनीय अपराध बनाया गया है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने के मौके पर ओवैसी ने तीन तलाक कानून के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की और इसे कठोर और सांप्रदायिक कानून करार दिया। इससे पहले एआईएमआईएम नेता ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का ‘असंवैधानिक’ करार दिया था।