कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) की सरकार मंगलवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने में विफल रही और सरकार गिर गई। इसी के साथ राज्य में करीब तीन हफ्ते से चल रहे राजनीतिक ड्रामे का अंत हो गया।
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को संख्या बल का साथ नहीं मिला और उन्होंने विश्वास मत प्रस्ताव पर चार दिन की चर्चा के खत्म होने के बाद हार का सामना किया। विधानसभा में पिछले बृहस्पतिवार को उन्होंने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया था।
विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने ऐलान किया कि 99 विधायकों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया है जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया है। इस प्रकार यह प्रस्ताव गिर गया। इसके साथ ही भाजपा ने कहा है कि वह कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।
बता दे कि कांग्रेस और जद (एस) के 15 विधायकों के इस्तीफा देने से गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गयी थी। गठबंधन के नेताओं ने सरकार बचाने की भरसक कोशिश की।
मुख्यमंत्री ने विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराये जाने से बचने के कई ‘उपाय’ किये। चार दिन चली चर्चा के बाद आज शाम साढ़ सात बजे मतदान कराया गया जिसका नतीजा गठबंधन दलों के विपरीत गया और आखिरकार सरकार गिर गयी। कुमारस्वामी सरकार 23 मई 2018 को बनी थी।
विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था जिसके बाद कांग्रेस तथा जनता दल (एस) ने गठबंधन सरकार बनायी थी। कांग्रेस के ज्यादा विधायक होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद जद(एस) को दिया गया था।
सरकार बनने के कुछ समय बाद ही गठबंधन में मतभेद उभरने लगे थे। गठबंधन के 15 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत स्वीकार नहीं किये थे। इसके मद्देनजर इन विधायकों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
न्यायालय ने इस पर अपने फैसले में इस्तीफों का निर्णय विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ दिया था लेकिन कहा था कि इन सदस्यों को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
बीजेपी खेमे में जश्न का माहौल !
कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद विजय प्रतीक बनाते दिखे बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा. बीजेपी खेमे में जश्न का माहौल है।
इससे पहले कर्नाटक विधानसभा में वोटिंग की गयी है। बीजेपी विधायकों के वोट गिने जा रहे हैं। विधायडिप्टी स्पीकर ने कांग्रेस-जेडीएस सरकार के समर्थन में डाला वोट।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने विधानसभा में पेश विश्वास प्रस्ताव किया। कर्नाटक विधानसभा में विश्वासमत पर वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पंक्तिवार हो रही है वोटों को गिनती. बीजेपी के विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की।
खुशी से अपने पद का ‘‘बलिदान’’ करने को तैयार – कुमारस्वामी
वही आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने मंगलवार को कहा कि वह खुशी से अपने पद का ‘‘बलिदान’’ करने को तैयार हैं। विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने ऐसा कहा ।
चार दिनों तक विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद कुमारस्वामी ने कहा,‘‘मैं खुशी से इस पद का बलिदान करने को तैयार हूं।’’
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि विश्वास मत की कार्यवाही को लंबा खींचने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं विधानसभाध्यक्ष और राज्य की जनता से माफी मांगता हूं।’’
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘यह भी चर्चा चल रही है कि मैंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया और कुर्सी पर क्यों बना हुआ हूं।’’
उन्होंने कहा कि जब विधानसभा चुनाव का परिणाम (2018 में) आया था, वह राजनीति छोड़ने की सोच रहे थे। कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मैं राजनीति में अचानक और अप्रत्याशित तौर पर आया था।’’
कांग्रेस ने बीजेपी पर थोक के भाव खरीद लगाया आरोप
कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने मंगलवार को भाजपा पर कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार को गिराने और रिश्वत तथा विधायकों को ‘थोक के भाव खरीद’ कर पिछले दरवाज़े से सत्ता में आने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
सिद्धरमैया ने विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरोप लगाया कि ‘‘विधायकों को प्रलोभन देने के लिए 20,25 और 30 करोड़ रुपये की पेशकश की गई’’ तथा पूछा , ‘‘ ये पैसा कहां से आया?’’
कांग्रेस विधायक दल के नेता और कांग्रेस-जदएस गठबंधन समन्वय समिति के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ यह राज्य के राजनीतिक इतिहास पर काला धब्बा है।’’
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘ सब… 99 फीसदी लोग जानते हैं कि इसके (सरकार गिराने के) पीछे भाजपा है। यह खुल कर कहिए।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ आपको लगता है कि आप लोकतंत्र की हत्या करके सत्ता में आ जाएंगे तो यह आपको उल्टा पड़ेगा। अगर येदियुरप्पा सरकार बना भी लें तो भी आप छह महीने या एक साल के लिए ही सत्ता में होंगे।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि 15 विधायकों का इस्तीफा कुछ नहीं बल्कि ‘थोक के भाव खरीद फरोख्त’ है। सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘ लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित कोई भी सरकार इस तरह के थोक के भाव खरीद-फरोख्त से बची नहीं रह सकती है।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा को 105 विधायकों के साथ मजबूत विपक्ष के तौर पर काम करना चाहिए था लेकिन उन्होंने गलत तरीके अपना कर पिछले दरवाजे से सरकार बनाने की कोशिश की। सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘ यह निदंनीय है। दल बदल एक बीमारी है और इसे नियंत्रित करने की जरूरत है।’’
उन्होंने भाजपा से कहा, ‘‘कोई भी आम आदमी निष्कर्ष निकाल सकता है कि इस दल-बदल के पीछे भाजपा है। राज्य के लोग आपको माफ नहीं करेंगे। अगले चुनाव में आपको यह पता लग जाएगा।’’