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रोमिला थापर से JNU प्रशासन ने मांगा CV, शिक्षक संघ ने जताया विरोध

इस मामले पर जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रोमिला थापर से सीवी मांगने का फैसला राजनीतिक रूप से प्रेरित है।

प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर से जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) प्रशासन ने सीवी मांगा है। यूनिवर्सिटी से लंबे समय से प्रफेसर इमेरिटस के तौर पर जुड़ी थापर से सीवी मांगने का छात्रों, शिक्षकों और इतिहासकारों के एक वर्ग ने विरोध किया है। रोमिला थापर 1970 में जेएनयू से जुड़ी थीं और 1992 तक प्राचीन भारतीय इतिहास की प्रोफेसर रहीं। पुन: वह 1993 से बतौर एमेरिटस प्रोफेसर सेवाएं दे रही हैं।
इस मामले पर जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रोमिला थापर से सीवी मांगने का फैसला राजनीतिक रूप से प्रेरित है। हालांकि जेएनयू प्रशासन ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि उसने विश्वविद्यालय के अध्यादेश 32 के अनुरूप यह कदम उठाया है। 
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जेएनयू प्रशासन ने कहा है कि उसे इस अध्यादेश के तहत यह अधिकार है कि वह 75 वर्ष से अधिक आयू के एमेरिटस प्रोफेसर को जारी रखे या नही। उसे उसकी समीक्षा करने का भी अधिकार है। एमआईटी जैसे विश्वविद्याल भी एमेरिटस प्रोफेसर को जारी रखने के बारे में अपना अधिकार रखते हैं। 
गौरतलब है कि जेएनयू शिक्षक संघ (जनुटा) ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति की इतिहासकार रोमिला थापर को एमेरिटस प्रोफेसर के पद पर बने रहने के लिए उन्हें सीवी (बायोडाटा) भेजने के विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देश दिए जाने की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि इसके लिए जेएनयू के रजिस्ट्रार को माफी मांगनी चाहिए। 

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जनुटा ने रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि 1993 में थापर जेएनयू से रिटायर हुई थी और तब उन्हें एमेरिटस प्रोफेसर बनाया गया था और यह तत्कालीन प्रशासन का निर्णय था। लेकिन 23 अगस्त को रजिस्ट्रार ने थापर को पत्र लिखकर कहा कि अगर वह इस पद पर बने रहना चाहती हैं तो अपना सी वी भेजें और तब विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद इस बारे में निर्णय लेंगी। 
विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह थापर जैसी विश्व प्रसिद्ध इतिहासकार का अपमान है और राजनीति से प्रेरित है। इस पद के लिए कोई आवेदन नहीं किया जाता है बल्कि यह विश्वविद्यालय का खुद का निर्णय होता है कि वह इस पद पर किसकी नियुक्त करे और आज 26 साल बाद यदि प्रशासन ने नियमावली में कोई संशोधन किया है तो यह पूर्व तारीख में कैसे लागू हो सकता है। 
इसलिए थापर से सीवी भेजने की मांग करना जेएनयू की परंपरा और गरिमा के भी खिलाफ है और ऐसा करना थापर का भी अपमान है। इसलिए प्रशासन को अपना निर्देश वापस लेकर थापर से माफी मांग लेनी चाहिए।

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