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न माफ करेंगे, न भूलेंगे: पुलवामा आतंकवादी हमले की बरसी पर CRPF

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में दो साल पहले हुए आतंकवादी हमले में अपने 40 सैनिकों को खोने वाले केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने रविवार को कहा कि देश उस हमले के जिम्मेदारों को ”माफ नहीं करेगा” और जवानों के सर्वोच्च बलिदान को ”नहीं भूलेगा।”

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में दो साल पहले हुए आतंकवादी हमले में अपने 40 सैनिकों को खोने वाले केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने रविवार को कहा कि देश उस हमले के जिम्मेदारों को ”माफ नहीं करेगा” और जवानों के सर्वोच्च बलिदान को ”नहीं भूलेगा।” 
हमले की दूसरी बरसी के मौके पर जम्मू-कश्मीर के लेथपुरा में सीआरपीएफ के कैंप में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया किया गया। 
दिल्ली में सीआरपीएफ मुख्यालय से डिजिटल माध्यम से बल के वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। सीआरपीएफ के प्रवक्ता उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मोजेज दिनाकरण ने यह जानकारी दी। 
बल ने ट्वीट किया, ”न माफ करेंगे, न भूलेंगे। पुलवामा हमले में राष्ट्र के लिये सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे भाइयों को सलाम। उनके आभारी हैं। हम अपने वीर जवानों के परिवारों के साथ खड़े हैं।” 
पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना ने 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर हवाई हमले किये थे। 
सीआरपीएफ के महानिदेशक ए पी माहेश्वरी ने ड्यूटी पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले 40 कर्मियों को समर्पित एक वीडियो पुस्तक का विमोचन भी किया। 
प्रवक्ता ने माहेश्वरी के हवाले से कहा, ”वीरता हमें विरासत में मिली है, जो हमारी रगों में खून की तरह दौड़ती है।” 
दिनाकरण ने कहा, ”इस वीडियो पुस्तक में 80 कड़ियों और 300 मिनट की विषयवस्तु है। पुस्तक की एक-एक प्रति पुलवामा आत्मघाती बम हमले में जान गंवाने वाले जवानों के परिवारों को भी भेजी जाएगी।” 
आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर 14 फरवरी, 2019 को हमला किया था जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। घटना के बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट स्थित आतंकवादी शिविर पर हवाई हमला किया था। 
हमले के दिन सीआरपीएफ के काफिले में 78 वाहन थे। उनमें से पांचवें नंबर की बस को जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने निशाना बनाया था और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर विस्फोटक से लदा वाहन बस के पास उड़ा दिया। 
काफिले में 2,500 से ज्यादा जवान थे। हमले में बस में सवार सभी 39 जवान और जमीन पर सैनिटाइजेशन टीम (बारुदी सुरंग जैसे खतरों को दूर करने वाली टीम) में तैनात एक सब-अफसर की मौत हो गई थी। 
विस्फोटक से लदी कार का पीछा करने और उसपर गोली चलाने वाले सीआरपीएफ के एएसआई मोहन लाल (50) को बहादुरी के लिए गणतंत्र दिवस पर सर्वोच्च पुलिस मेडल ‘राष्ट्रपति पुलिस मेडल फॉर गैलेंटरी’ से सम्मानित किया गया। 
बल के प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू में बनतालाब परिसर में सीआरपीएफ के जवानों ने 40 शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनकी याद में बनी वाटिका का उद्घाटन किया गया। 
उन्होंने बताया कि वाटिका को हेडकांस्टेबल नसीर अहमद का नाम दिया गया है और वह शहीद स्मारक के पास स्थित है। 
अहमद 76वीं बटालियन में तैनात थे और उनपर काफिले की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। हमले में वह शहीद हो गए थे। 
प्रवक्ता ने बताया कि अहमद की पत्नी शाजिया कौसर ने सीआरपीएफ के जम्मू सेक्टर के पुलिस महानिरीक्षक पी. एस. रनपीसे की उपस्थिति में वाटिका का उद्घाटन किया।

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