प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानि शनिवार से दो दिवसीय मालदीव और श्रीलंका की यात्रा करेंगे। यह यात्रा मोदी द्वारा पड़ोसी देशों को दी जा रही प्राथमिकता को दिखाता है। सत्ता में दोबारा आने के बाद मोदी पहली बार मालदीव की द्विपक्षीय यात्रा करने जा रहे हैं।
मोदी की मालदीव यात्रा के बारे में विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि 2011 के बाद प्रधानमंत्री स्तर की यह पहली मालदीव यात्रा होगी और इस दौरान दोनों ही पक्षों का लक्ष्य विभिन्न क्षेत्रों में आपसी संबंधों को और मजबूत करना है। हालांकि प्रधानमंत्री ने पिछले साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था लेकिन वह पूर्ण रूप से द्विपक्षीय यात्रा नहीं थी।
भारत और मालदीव के संबंधों में उस समय गिरावट आ गई थी जब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने पिछले साल पांच फरवरी को अपने देश में आपातकाल लगा दिया था। हालांकि सोलिह के सत्ता संभालने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य रूप से बहाल हो गये।
इस यात्रा के दौरान मोदी मालदीव की संसद को भी संबोधित करेंगे। बता दें कि जून 2014 से मोदी 10 देशों की संसद को संबोधित कर चुके हैं जिसमें भूटान, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, मॉरिशस, श्रीलंका, मंगोलिया, अफगानिस्तान और अमेरिकी (कांग्रेस) और यूगांडा शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि सोलिह ने भारत से आग्रह किया था कि वह उनकी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को आगे बढ़ाने में मदद करें और इस संबंध में बीसीसीआई का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले महीने इस देश का दौरा भी कर चुका है। गोखले ने बताया कि मोदी नौ जून को श्रीलंका की यात्रा करेंगे और ईस्टर हमले के बाद पहली बार कोई विदेशी नेता श्रीलंका की यात्रा पर होगा।
विदेश सचिव ने कहा कि मोदी एकजुटता के स्पष्ट संदेश के साथ श्रीलंका जा रहे हैं और वह इस बात का भी संकेत देंगे कि इस हादसे से उबरने में श्रीलंका की सरकार पर उनका पूरा भरोसा है। श्रीलंका में 21 अप्रैल को गिरजाघरों और होटलों में हुए हमले में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि मोदी श्रीलंका के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विपक्ष नेताओं सहित कई अन्य नेताओं के साथ वार्ता करेंगे।
मालदीव, श्रीलंका की यात्रा ‘पड़ोस पहले’ नीति पर भारत की प्राथमिकता प्रतिबिंबित करती है : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शनिवार से शुरू हो रही मालदीव और श्रीलंका की उनकी यात्रा से भारत द्वारा ‘पड़ोस पहले’ नीति को दिया जाने वाला महत्व प्रतिबिंबित होता है और इससे समुद्र से घिरे दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे।
मोदी ने कहा, ‘‘मैं इसको लेकर आश्वस्त हूं कि मालदीव और श्रीलंका की मेरी यात्रा से हमारी ‘पड़ोस पहले नीति’ और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं प्रगति की दृष्टि के अनुरूप हमारे समुद्री पड़ोसी देशों के साथ हमारे नजदीकी एवं सौहार्दपूर्ण संबंध और मजबूत होंगे।’’
ऐसी जानकारी मिली है कि मालदीव मोदी को एक प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘आर्डर आफ निशानीज्जुदीन’ से सम्मानित करेगा। उन्होंने रवानगी से पहले जारी एक बयान में कहा कि श्रीलंका की उनकी यात्रा वहां 21 अप्रैल को हुए ‘‘भीषण आतंकवादी हमलों’’ के मद्देनजर इस द्वीपीय देश की सरकार एवं वहां के लोगों के प्रति भारत की एकजुटता व्यक्त करने के लिए है।
मोदी ने कहा, “भारत के लोग श्रीलंका के लोगों के साथ मजबूती से खड़े हैं जिन्होंने ईस्टर के दिन भीषण आतंकवादी हमले के मद्देनहर बड़ी पीड़ा और विनाश का सामना किया। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में श्रीलंका का पूर्ण समर्थन करते हैं।”
मोदी ने मालदीव की अपनी यात्रा के बारे में कहा कि भारत इस देश को एक मूल्यवान साझेदार मानता है जिसके साथ वह इतिहास और संस्कृति के गहरे संबंध साझा करता है। उन्होंने कहा, “मालदीव के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध हाल के समय में काफी मजबूत हुए हैं। मुझे पक्का विश्वास है कि मेरी यात्रा से हमारी बहुआयामी साझेदारी और गहरी होगी।”
मोदी ने श्रीलंका को लेकर कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उसके साथ संबंधों में काफी गति मिली है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना पिछले सप्ताह मोदी के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारत आये थे। मोदी ने कहा, “मैं अपनी यात्रा के दौरान श्रीलंकाई नेतृत्व से मुलाकात को लेकर उत्सुक हूं।”