बंबई उच्च न्यायालय ने 2010 में फौजदारी मुकदमे के वकील शाहिद आजमी की हत्या के मामले में सुनवाई पर लगी रोक हटा दी है और ‘‘पूर्वाग्रह’’ को आधार बनाकर किसी और निचली अदालत में सुनवाई कराये जाने संबंधी अभियुक्त का अनुरोध ठुकरा दिया है।
आजमी की 11 फरवरी, 2010 को कुर्ला उपनगर में उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
घटना के समय आजमी मालेगांव 2006 बम विस्फोट, 7/11 ट्रेन विस्फोट मामले, औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले और घाटकोपर विस्फोट मामले में कई आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। राजकुमार राव अभिनीत हंसल मेहता की 2013 की फिल्म ‘शाहिद’ आजमी के जीवन और कार्य पर आधारित थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार गैंगस्टर छोटा राजन के इशारे पर आजमी की हत्या की गई। उच्च न्यायालय ने सितंबर 2022 में एक आरोपी हसमुख सोलंकी द्वारा मामले को दूसरे सत्र न्यायाधीश को स्थानांतरित करने की अर्जी दायर करने के बाद मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति पी डी नाइक ने सात फरवरी को स्थगन आदेश को रद्द कर दिया और सोलंकी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मामले को मुंबई के सत्र न्यायाधीश से दूसरे सत्र न्यायाधीश को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया था। सोलंकी ने मौजूदा जज पर पक्षपात का आरोप लगाया था।