पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव हुए लगभग छ महीने हो गए है और इसके परिणाम भी सबके सामने आ गए है। लेकिन अभी तक वहां की राजनीति में इधर से उधर का खेल समाप्त नही हुआ है। पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राजीव बनर्जी रविवार को त्रिपुरा के अगरतला में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की एक रैली में टीएमसी में लौट आए।
भाजपा में शामिल होने के लिए ‘‘पश्चाताप’’ हुआ
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में मंत्री रहे राजीव बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नहीं छोड़ने के लिए कहने के बावजूद उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने के लिए ‘‘पश्चाताप’’ हुआ। राजीव को कुछ हफ्ते पहले भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया था। वह हावड़ा जिले के डोमजुर से विधानसभा चुनाव में मुकाबले में उतरे थे, लेकिन सफलता नहीं मिली।
भाजपा की घृणा और विभाजनकारी विचारधारा की राजनीति को स्वीकार नहीं कर सकता
राजीव ने कहा, ‘‘मुझे एहसास हुआ कि मैं भाजपा की घृणा और विभाजनकारी विचारधारा की राजनीति को स्वीकार नहीं कर सकता। मैं भाजपा की जनविरोधी नीतियों को स्वीकार नहीं कर सकता।’’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई बार भाजपा नेतृत्व को अपनी राय दी थी और ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत हमले और निंदा की आलोचना की थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।’’
गलतफहमी के कारण टीएमसी छोड़ दी थी
राजीव ने दावा किया कि उन्होंने गलतफहमी के कारण टीएमसी छोड़ दी और चुनाव से पहले भाजपा के प्रचार अभियान से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘ये सभी वादे झूठ थे और मैं उनके साथ नहीं रह सकता था। मुझे खेद है और अब पश्चाताप हो रहा है। मैं ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में काम करूंगा।’’
पश्चिम बंगाल में दो मई को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद बनर्जी भाजपा के किसी भी कार्यक्रम में नहीं दिखे और अक्सर सार्वजनिक रूप से भाजपा नेतृत्व की आलोचना की।