RSS के मार्च को मंजूरी देने के फैसले को दी थी चुनौती, SC ने फटकार लगाते हुए तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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RSS के मार्च को मंजूरी देने के फैसले को दी थी चुनौती, SC ने फटकार लगाते हुए तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी,

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राज्य में मार्च करने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकार की अपील खारिज की जाती है। सुनवाई के दौरान आरएसएस ने दलील दी थी कि अगर तमिलनाडु में उसके मार्च पर कोई आंतकी संगठन हमला करता है, तो राज्य सरकार को उसकी रक्षा करनी होगी।
सरकार की तरफ से कोर्ट के समक्ष क्या रखी गई बात 
तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था कि हम राज्य मार्च और जनसभाओं का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह हर गली, हर मुहल्ले में नहीं हो सकता है। रोहतगी ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था की चिंताओं के लिए अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती है। पीठ ने मौखिक रूप से कहा था कि सत्ता की भाषा और लोकतंत्र की भाषा के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए। आरएसएस का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार आतंकी हमले की आशंकाओं का हवाला देकर किसी संगठन को शांतिपूर्ण मार्च निकालने से नहीं रोक सकती है।
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आतंकवादी संगठन पर कार्रवाई करने में राज्य सरकार विफल
जेठमलानी ने कहा कि वे राज्य सरकार एक आतंकवादी संगठन को नियंत्रित करने में असमर्थ है, इसलिए वे मार्च पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर मुझ पर एक आतंकवादी संगठन द्वारा हमला किया जा रहा है, तो राज्य को मेरी रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि दलित पैंथर्स और सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी द्वारा मार्च निकाले जाने की पृष्ठभूमि में आरएसएस को अलग नहीं किया जा सकता है और कहा कि राज्य अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकता है। राज्य सरकार ने कहा था कि वह मार्च पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव नहीं डाल रही, बल्कि केवल कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के मुद्दे को उजागर कर रही है।
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