यह अधिनियम पूर्व अनुमति के बिना पेड़ों की कटाई को दंडनीय अपराध बना देगा जिसके लिए एक वर्ष की जेल या 1000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद जिला और राज्य स्तर पर हरित समितियों का गठन किया है, जो राज्य में पेड़ों की कटाई को विनियमित करने और निगरानी करने के लिए एक प्रणाली चाहती थी।
हरित पैनलों को कानूनी मान्यता प्रदान
बता दें कि यह कदम जिला और राज्य स्तर पर गठित हरित पैनलों को कानूनी मान्यता प्रदान करेगा। प्रस्तावित अधिनियम के तहत निजी संपत्तियों सहित किसी भी भूमि से बिना पूर्व अनुमति के किसी भी पेड़ की कटाई, निष्कासन या निपटान को अपराध माना जाएगा। दिल्ली वृक्ष अधिनियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो बिना पूर्व अनुमति के पेड़ काटता है, उसे जेल की सजा हो सकती है जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है या 1000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अपराध को वन उपज के मूल्य या 10,000 रुपये तक मुआवजे या दोनों का भुगतान करके भी कम किया जा सकता है। तमिलनाडु की पर्यावरण सचिव सुप्रिया साहू ने मीडियाकर्मियों को बताया कि राज्य 2030 तक 260 करोड़ पौधे लगाएगा