लुधियाना-संगरूर : सदियों पुरानी पंजाब की सियासी पार्टी शिरोमणि अकाली दल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। बीते कल परमजीत सिंह रायपुर जो शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य भी है और उन्होंने अकाली दल की तरफ से जालंधर केंट विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। वे अकाली दल की सदस्यता को त्याग कर कांग्रेस का दामन थाम चुके है।
आज शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं में स. प्रकाश सिंह बादल के बाद दूसरा स्थान हासिल करने वाले राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींढसा ने राज्यसभा में पार्टी के ग्रुप लीडर पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने गुरुवार को राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को इस्तीफा दे दिया था। जबकि कल ही उन्होनें शिअद प्रधान और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को अपना इस्तीफा भेज दिया था।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक दरअसल संगरूर इलाके से संबंध रखने वाले वरिष्ठ शिरोमणि अकाली दल नेता सुखदेव सिंह ढींडसा अप्रैल 2010 से राज्यसभा में सांसद हैं। पिछले कुछ दिनों से वह पार्टी के नेतृत्व में हुए बदलाव को लेकर ढींडसा काफी समय से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की पंजाब में हुई बेअदबी पर चिंता व्यक्त करते हुए अफसोस जाहिर किया था। सितंबर 2018 में उन्होंने राज्यसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया था।
भले ही ढींडसा ने त्यागपत्र की वजह अपनी सेहत की खराबी को बताया था, लेकिन प्रदेश में उनके इस फैसले की खासी चर्चा रही थी। यहां तक कि मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के वक्त भी उन्होंने अकाली दल के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया था।
इस बारे में शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पत्र जारी करते हुए लिखा कि शिरोमणि अकाली दल ने 12 जून 2019 को संसदीय मामलों के घोषणापत्र में राज्यसभा के अपने नेतृत्व को बदलने के बारे में लिखा था। बलविंदर सिंह भुंदड़ और नरेश गुजराल के नाम इसमें लिखे गए हैं, जिसकी एक प्रति राज्यसभा के महासचिव को भी भेजी गई है।
स्मरण रहे पंजाब के 4 विधानसभा उपचुनावों के लिए शिरोमणि अकाली दल के स्टार प्रचारकों की सूची जारी हुई थी तो उस वक्त भी स. ढींढसा के पुत्र पूर्व केबिनेट मंत्री परमजीत सिंह ढींढसा का नाम शामिल नहीं हुआ था। उस वक्त भी सियासी गलियारों में चर्चाएं थी कि आने वाले दिन शिअद के लिए चुनौती भरे होंगे। आज पर्दे पर वही सबकुछ साकार होता नजर आ रहा है, जब सुखदेव सिंह ढींढसा ने इस्तीफा दिया है।