पंजाब में ड्रग्स का मुद्दा समय समय पर उछलता रहता है कहा जाता है पंजाब में बड़े स्तर पर ड्रग्स और नशीले पदार्थ का व्यापार होता है। जिसकी वजह से पंजाब के युवा नशे की लत में आकर बर्बाद हो रहे है। अब इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और भगवंत मान सरकार आमने-सामने आ गए हैं। बता दें राज्यपाल की तरफ से आप सरकार को कटघरे में खड़ा करने के बाद कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने उन पर पलटवार किया है। उनका कहना है कि राज्यपाल राजनीतिक भाषण दे रहे हैं। और समानांतर सरकार चला रहे हैं।

राज्यपाल और भगवंत मान सरकार में टकरार
बीते दिनों राज्यपाल ने कहा था कि पंजाब के हालात ऐसे है कि यहां पर स्कूलों से लेकर जनरल स्टोर्स तक में ड्रग्स बिक रहे हैं। इसलिए इसकी रोकथाम को लेकर बयानबाजी चवती रहती है।
भगवंत सरकार में भी हा रही ड्रग्स की तस्करी
पंजाब में भगवंत सरकार में भी ड्रग्स की समस्या बनी हुई है। लेकिन पंजाब सरकार के लिए इस पर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। ऐसे में उठता है कि पंजाब में ड्रग्स का जहर कैसे फैला। राज्य सरकारों ने इस मसले पर शुरुआती दौर में ही गंभीरता दिखाई होती तो शायद पंजाब को ये दौर देखना न पड़ता। सरकार की गलतीयों से पंजाब का युवा बर्बाद होता जा रहा है। 

1947 ड्रग्स कनेक्शन की शुरुआत ISI ने की थी
अब कई लोगों के मन में सवाल आ रहे है कि पंजाब में ड्रग्स की शुरुआत हुई कैसे तो चलिए आपको ये भी बता देते है दरअसल 300 बीसी से 1947 तक व्यापारिक गतिविधियों के लिए चीन से पाकिस्तान और भारत तक सिल्क रूट फेमस था। यह रूट अफगानिस्तान में डायवर्ट होकर मौजूदा पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश करता था।
तस्कर करने के रुट को येलो रूट नाम दिया
1947 में हुए बंटवारे के बाद गोल्ड स्मगलिंग ने इसे येलो रूट नाम दिया। पंजाब में 80 के दशक में आतंकवाद के दौर में टेरर फंडिंग करने के लिए पाकिस्तान की आईएसआई (ISI) ने इस रूट को हेरोइन सहित अन्य नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए इस्तेमाल किया। यह सिलसिला अभी भी जारी है और हेरोइन की सप्लाई की वजह से अब यह व्हाइट रूट में बदल चुका है। आज भी आईएसआई इस रूट पर ड्रोन के जरिए हथियार और ड्रग्स की सप्लाई पंजाब बॉर्डर के जरिए करता है।