राजस्थान के बारां जिले में जलझूलनी एकादशी पर विभिन्न 55 मंदिरो से निकलने वाली शोभायात्रा और डोल तालाब पर होने वाली सामूहिक आरती को देखकर श्रद्वालु गंगा की आरती के समान मानकर अपने को धन्य मानते है।
जलझूलनी एकादशी पर कल जिले में विभिन्न 55 मंदिरो से निकलने वाली शोभायात्रा और उसके दशनार्थ उमड़ती लाखो लोगो की भीड़ का सैलाब से यहां की लोक संस्कृति चरितार्थ होती है। मंदिरो से भगवान विग्रह की कंधो पर रखे विमानो की गाजेबाजों के साथ निकलने वाली शोभायात्रा और उसके दर्शनार्थ उमडऩे वाला सैलाब भी अलौकिक दृश्य प्रकट करता है।
शोभायात्रा के साथ ही हैरत अंगेज करतब दिखाते अखाड़बाजो को देखने हजारों लोग राजस्थान के साथ ही मध्यप्रदेश के जिलो से भी दर्शनार्थी यहां पहुंचते है।
बारां में डोल मेला कब से लगता है इस बारे में लोग निश्चित से कुछ नहीं बता पाते है लेकिन बुजुर्ग इतना ही कहते है कि जब उन्होंने होश संभाला तब से ही यह शोभायात्रा मेला देखते आए है।
उन्होंने बताया कि आज से कोई 70-80 वर्ष पूर्व बारां का यह डोल मेला मात्र दो-दिन का होता था। हाट की तरह ठेलो, तम्बुओं में गांव की दुकानें लगती थी लेकिन समय के साथ यहां के लोगों की श्रृद्धा बढ़ी और आज यहीं मिला पूरे एक पखवाड़े तक लगता है।