भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी पिछले लंबे समय से केंद्र सरकार के लिए जाने माने नेता रहे है। वरुण गांधी बेबाक नेता है वो सरकार की नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलते हैं।
अपने बेबाक अंदाज से उन्होंने एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा है। वरुण गांधी ने आज शनिवार को 432 मरीजों को लेकर और छह साल से कम उम्र के बच्चे के खतरे में पड़े जीवन को लेकर कहा कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों को 50 लाख रुपये की सहायता की बात कही थी । लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मरीज को लाभ नहीं मिला है।
मरीजों को सरकार से नहीं मिली मदद
उन्होंने कहा कि मई, 2022 में उसमें किए गए संशोधन के अनुसार दुर्लभ रोगों के मरीजों के सभी समूहों को इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का आश्वासन दिया गया था। वरुण ने पत्र में लिखा है कि घोषणा के कई महीने बाद भी एक भी मरीज इस योजना का लाभ नहीं ले पाया है। जिससे 432 मरीजों, खासकर छह साल से कम उम्र के रोगियों की जान खतरे में है। उन्होंने कहा कि उनमें ज्यादातर बच्चे गौचर (gaucher) (प्लीहा और यकृत में कुछ खास वसीय पदार्थ का जमा होना), पोम्प (हृदय और कंकाल मांसपेशियों का बहुत कमजोर हो जाना), एमपीएस- वन (बच्चों की कोशिकाओं में शर्करा की असामान्य मात्रा) और एमपीएस-टू और फैब्री (इंजाइमों में त्रुटि) जैसे लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (Lysosomal Storage Disorders) से ग्रस्त हैं।
208 बच्चों का इलाज तुरंत शुरू हो
वरुण गांधी ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अंशदान मंच के अनुसार लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर के करीब 208 मरीजों का तत्काल उपचार किया जा सकता है। क्योंकि इनमें से अधिकतर रोगों के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक द्वारा मंजूर उपचार भारत में कई सालों से उपलब्ध है।
उन्होंने कहा 10से अधिक बच्चे इलाज की बाट जोहते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं। इसलिए मैं अनुरोध करता हूं कि सीओई में इन 208 बच्चों का तत्काल उपचार शुरू किया जाए।