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उप्र विशेषाधिकार हनन मामले में विधानसभा ने छह पुलिसकर्मियों को सुनाई एक दिन की सजा

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने शुक्रवार को करीब दो दशक पहले भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन के नोटिस के मामले में छह पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई।

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने शुक्रवार को करीब दो दशक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन के नोटिस के मामले में छह पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई। शुक्रवार को 12 बजे रात्रि के बाद पुलिसकर्मियों को रिहा कर दिया गया।
शुक्रवार को प्रश्नकाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सर्वसम्मति से सदन को अदालत के रूप में परिवर्तित करते हुए कार्रवाई शुरू की और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकृत होने के बाद सजा की घोषणा की।
सजा की घोषणा के समय राज्‍य के मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में दोनों दलों के सदस्यों ने समाजवाद पर मुख्‍यमंत्री की पिछले दिनों की गयी टिप्पणी को लेकर सदन से बहिर्गमन किया।
हालांकि अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने सजा के मामले पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष को अधिकृत किया।
इस कार्यवाही के समय नेता सदन तथा प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी सदन में मौजूद नहीं थे। विशेष दीर्घा में सलिल विश्‍नोई बैठे हुए थे, जो इस समय विधान परिषद के सदस्य हैं।
शुक्रवार को राज्य विधानसभा ने तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन नोटिस पर छह पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को तलब किया था और सजा की घोषणा के समय उन्हें सदन की अदालत में कठघरे में पेश किया गया।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने 2004 में जनप्रतिनिधि विश्नोई की पिटाई करने के मामले में इन पुलिसकर्मियों को सजा देने का प्रस्ताव रखा।
हालांकि इससे पहले खन्‍ना ने आरोपी पुलिसकर्मियों का पक्ष सुनने के लिए भी पीठ से अनुरोध किया।
आरोपी तथा तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद ने सदन से माफी मांगते हुए कहा, ‘‘आप सभी का सादर चरण स्पर्श करते हुए कह रहा हूं कि राजकीय कार्य में जाने-अनजाने जो त्रुटि हुई, उसके लिए हमें क्षमा कर दें।’’
एक अन्‍य पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हम लोगों से दायित्वों के निर्वहन के समय जो त्रुटि हुई उसके लिए क्षमा कर दें, भविष्य में कोई त्रुटि नहीं होगी।’’
इसके बाद खन्‍ना ने कहा, ‘‘सभी लोगों ने विनम्रतापूर्वक माफी मांगने का प्रयास किया है, लेकिन लोकतंत्र में विधायिका का सम्मान बना रहना बहुत जरूरी है। जो चुनकर प्रतिनिधि आते हैं वह जनता के हितों के लिए काम करते हैं, मगर इन्‍हें (पुलिस) अधिकार नहीं मिल जाता कि डंडा चलाएं और गाली दें।’’
गौरतलब है कि विशेषाधिकार हनन नोटिस 25 अक्टूबर, 2004 को दिया गया था। उत्तर प्रदेश विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने आरोपी पुलिसकर्मियों को दोषी पाया था।
तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई 15 सितंबर, 2004 को कानपुर में बिजली कटौती के खिलाफ जिलाधिकारी (कानपुर नगर) को एक ज्ञापन सौंपने जा रहे एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, तभी पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्रता की थी।
विश्नोई के साथ अभद्रता करने के आरोप में कानपुर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी (अब सेवानिवृत्त) अब्दुल समद समेत छह पुलिसकर्मियों को विशेषाधिकार हनन का दोषी करार देते हुए शुक्रवार को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई गई।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन की कार्यवाही के दौरान इन सभी पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने दोषियों को एक दिन के कारावास (रात 12 बजे तक) के लिए प्रस्ताव पेश किया और महाना ने फैसले की घोषणा की।
अध्यक्ष ने कहा कि छह पुलिसकर्मियों को रात 12 बजे तिथि बदलने तक विधानसभा के ही एक कक्ष में कैद रखा जाएगा और उनके लिए भोजन तथा अन्य व्यवस्था की जाएगी।
महाना ने अपने फैसले में संविधान के सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘यह प्रकरण चिंतनीय है, इनके (पुलिसकर्मी) आचरण के कारण ही विशेषाधिकार समिति ने इनके लिए दंड का प्रस्ताव रखा। सरकारी नौकरियों में कार्य करने वालों को ध्‍यान रहे कि उनके लिए एक लक्ष्मण रेखा है। मेरा मानना है कि सभी दोषियों को कारावास की सजा दी जाए। विधानसभा में ऊपर ऐसे लोगों के लिए जेल बनी है। इनके साथ उदारतापूर्वक व्‍यवहार करते हुए इन्‍हें वहां रखा जाए।’’
उन्होंने कहा कि समिति ने इनके निलंबन का प्रावधान किया था लेकिन इन लोगों ने माफी मांग ली है। एक दिन की सजा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि इस फैसले का दूर तक संदेश जाएगा और संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए। महाना ने यह भी कहा कि मार्शल इनको लॉकअप में ले जाएं और कारावास में इनका कोई उत्पीड़न न हो, इन्‍हें अनुमन्‍य भोजन, पानी की सुविधाएं दी जाएं।
मार्शल कैप्टन मनीष राय ने इन सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में ही बने विशेष प्रकोष्ठ में रखा।
इसके पहले कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने पीठ से अनुरोध किया कि आरोपियों के साथ उदारता बरतते हुए रात 12 बजे तक सजा की बजाय कुछ घंटे ही सजा दी जाए। विधानसभा के सदस्यों ने शाही के इस प्रस्ताव का विरोध किया।
आरोपियों को सदन की विशेषाधिकार समिति की सिफारिश पर समन जारी किया गया था, जिसकी सोमवार को बैठक हुई थी। समिति ने इन पुलिसकर्मियों के लिए कारावास की सिफारिश की और सदन को शुक्रवार को कारावास की अवधि तय करनी थी।
सजा पाने वालों में तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर (कानपुर नगर) के तत्कालीन थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उप निरीक्षक (कोतवाली) त्रिलोकी सिंह, सिपाही छोटे सिंह यादव (किदवई नगर) और काकादेव थाने में तैनात तत्कालीन सिपाही विनोद मिश्रा व मेहरबान सिंह शामिल हैं।
पुलिस क्षेत्राधिकारी समद को छोड़कर सभी पुलिसकर्मी अभी सेवा में हैं।
शुक्रवार को आधी रात के बाद विधानसभा के एक अधिकारी ने बताया कि रात्रि 12 बजे के बाद तारीख बदलते ही दोषी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में बने जेल (विशेष कक्ष) से रिहा कर दिया गया। इसके पहले सभी पुलिसकर्मियों को भोजन और अन्‍य अनुमन्य सुविधाएं मुहैया करायी गयी।

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