क्या हैं रिश्ते आने के बावजूद शादी न होने की वजह? क्यों इस गांव के लड़के दुल्हन के लिए तरसते हैं? हैरान कर देगी वजह - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

क्या हैं रिश्ते आने के बावजूद शादी न होने की वजह? क्यों इस गांव के लड़के दुल्हन के लिए तरसते हैं? हैरान कर देगी वजह

यह मामला बरुअट्टा गांव का है, जो जमुई जिला के सदर मुख्यालय से सिर्फ पांच किलोमीटर दूर है। जहां पर पांच नंबर वार्ड की महादलित बस्ती में लड़कों की शादी करना बहुत मुश्किल है। ग्रामीणों का कहना है कि शादी के लिए आने वाले रिश्ते जरूर होते हैं, लेकिन शादियां टूट जाती हैं।

बिहार में एक गांव है जहां लड़कों की शादी नहीं होती। यहां लड़कों के लिए बहुत से रिश्ते आते हैं, लेकिन इस गांव में कोई भी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता हैं। ऐसा नहीं है कि इस गांव में आज तक कोई शादी नहीं हुई है लेकिन शादी करने के लिए लोगों को बहुत मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है। इस गांव के लोग शादी करने के लिए कुछ इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करते हैं, जो लोगों को विभिन्न नौकरियों को ढूंढ़ने में करनी पड़ती हैं। 
1693461295 untitled project (21)
वास्तव में, यह मामला बरुअट्टा गांव का है, जो जमुई जिला के सदर मुख्यालय से सिर्फ पांच किलोमीटर दूर है। जहां पर पांच नंबर वार्ड की महादलित बस्ती में लड़कों की शादी करना बहुत मुश्किल है। ग्रामीणों का कहना है कि शादी के लिए आने वाले रिश्ते जरूर होते हैं, लेकिन शादियां टूट जाती हैं। एक-एक लड़के की शादी के लिए अनेकों रिश्ते देखने की म्हणत करनी होती हैं। उन्हें शादी करने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है तब जा कर कहीं उनकी शादी मुश्किलों से हो पाती हैं। 
आखिर क्या हैं शादी न होने के पीछे की कहानी?
असल में पांच नंबर वार्ड की बरुअट्टा गांव की महादलित बस्ती में लगभग पचास परिवारों का निवास है। इस गांव के लोगों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके घर तक सड़क नहीं है, जो बारिश के दिनों में यहां के लोगों के लिए बहुत सी मुश्किलें खड़ी कर देता हैं।
1693461485 untitled project (22)
घर से आधा किलोमीटर दूर खेतों से होकर मुख्य सड़क पर पहुंचने के बाद, घुटने भर पानी और कीचड़ के बीच, इस गांव में कोई भी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता। ग्रामीण मुनिया देवी ने कहा कि गांव में सड़क नहीं होने के कारण हमारे बच्चों की शादियां होने में दिक्कत आ रही हैं। रिश्ते तो बहुत आते हैं, लेकिन लोग इसे तोड़ देते हैं कि गांव में सड़क नहीं है और हम अपनी बेटी को कीचड़ से नहीं भेजेंगे।
कंधों पर ले जाकर बच्चों को छोड़ते हैं स्कूल 
गांव में सरकारी विद्यालय भी मौजूद है। जिसमें इस बस्ती से लगभग 10 बच्चे हर दिन स्कूल जाते हैं। ग्रामीणों का ऐसा कहना हैं कि बारिश के दिनों में रास्तों पर पानी छह महीने तक रहता है और सड़कों की यही हालत होती हैं। कभी-कभी घुटने से ऊपर पानी बहने लगता है। इसके बाद छोटे बच्चों को इसमें से आने-जाने में बहुत मुश्किल होती है। उन्हें बताया कि ऐसी स्थिति में बच्चों को कंधे पर उठाकर स्कूल ले जाने तक की नौबत आती हैं।
1693461642 hrthrhrh
ऐसा नहीं करने से बच्चे पढ़ने में असमर्थ होंगे और गांव का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। ग्रामीण महेश मांझी ने कहा कि हालांकि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ लिख कर बहुत अच्छे और कामयाब इंसान बन जाएं लेकिन छह महीने तक बच्चों को स्कूल जाने में बहुत मुश्किल होती है। ग्रामवासी शांतनु पांडेय ने कहा कि वे इस मोहल्ला तक जाने वाली सड़क बनाने के लिए जमीन देने को तैयार हैं। लेकिन आज तक इस काम के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके चलते गांव के लोगों को इतनी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा है।
आधी रात गांव में ही करनी पड़ी महिला की डिलीवरी
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में करीब तीन दिन पहले एक गर्भवती महिला को देर रात प्रसव पीड़ा शुरू हुई, जिससे गांव में बहुत बुरी स्थिति पैदा हो गई। उसे अस्पताल ले जाना चाहिए था। लेकिन रात होने और रास्ते पर पानी होने के कारण महिला को सड़क पर नहीं ले जाया जा सका। 
1693461770 trnngn
हमने गांव के लोगों को जगाने की कोशिश की, ताकि वे गर्भवती महिला को उठाकर सड़क तक पहुंचा सकें, लेकिन वे सो रहे थे। पर ऐसा नहीं हुआ, और महिला को आखिर में आखिर में गांव में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। ऐसे में इस गांव के लोगों का दर्द बहुत अलग है और वे बस एक बार अपने जीवन में सड़क पर चलकर अपने घर पहुंचने की इच्छा रखते हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 × one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।