पड़ोसी देश में पहली बार अपनी सरकार के मूल मंत्र को विस्तारित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का आह्वान किया और मुस्लिम बहुल देश मालदीव के साथ भारत के काफी महत्वपूर्व संबंध होने का जिक्र किया।
मालदीव की संसद को संबोधित करते हुए मोदी ने शनिवार को कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में एक समावेशी और सतत विकास की दृष्टि को साकार करने के लिए हमारी सरकार ने ‘पड़ोस (के देश) पहले’ की नीति अपनायी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरी सरकार का मूल मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ केवल भारत के लिए ही नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए है, खास तौर पर हमारे पड़ोसी देशों के लिए। यह हमारी (भारत की) विदेश नीति पर आधारित है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “पड़ोसी (देश) पहले भी हमारी नीति है और इसमें मालदीव का महत्व (विदेश नीति) अत्यंत स्वाभाविक है।” प्रधानमंत्री पद पर अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने के बाद मोदी ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए मालदीव को चुना। मोदी ने कहा कि इस दक्षिण एशियाई द्वीपीय राष्ट्र की उनकी यात्रा महज एक ‘संयोग’ नहीं है।
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति (इब्राहिम मोहम्मद) सोलेह ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद भारत को अपना पहला गंतव्य बनाया था और मैं उनके उस कदम के लिए आभार जताने यहां आया हूं।” दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत और मालदीव के बीच 2000 साल से अधिक पुराने व्यापारिक संबंध हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब बात गीतों और भाषा की आती है, तो हमारी आपस में कई सांस्कृतिक समानताएं हैं।” उन्होंने कहा कि मालदीव में हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में लोकतंत्र की जीत को देख कर भारत सबसे अधिक खुश है। मोदी ने व्यापक आधार पर सामाजिक-आर्थिक विकास और लोकतांत्रिक तथा स्वतंत्र संस्थाओं की मजबूती के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करने में मालदीव को भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।