चीन को विस्तारवाद की नीति को लेकर कई बार वैश्विक स्तर पर फजीहत झेलने पड़ी हैं, लेकिन सैन्य बल के आधार पर चीन ताइवान जैसे लोकतांत्रिक देशों को अपने भूमि में शामिल करना चाहता हैं। लेकिन वह अभी तक ऐसा नहीं कर पाया हैं। चीन के सैन्य तानाशाह शी जिनपिंग ने पोलित ब्यरों के संबोधन में कहा था कि वह ताइवान को अपने शामिल करने के लिए ताकत का इस्तेमाल करने में परहेज नहीं करेंगा। चीन अब से पहले भी ताइवान को सैन्य कार्रवाई की धमकी दे चुका हैं। कई बार चीन के सैन्य विमान ताइवान की सीमा में घुसकर जासूसी कर चुके हैं।
दरअसल चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता हैं, पूर्व में कई बार चीन ने ताइवान को हासिल करने के लिए तनाव को बढ़ावा देकर अशांति पैदा करने की कोशिश की हैं। पोलित ब्यूरों की बैठक में शी जिनपिंग ने कहा कि इस मुद्दा का हल चीन की जनता करेगी और हम इसका हल शांति निकालने के पक्षधर हैं। इसको लेकर ताइवान की राष्ट्रपति ने दो टूक शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि वह किसी भी कीमत पर इस मुद्दा पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। ताइवान परोक्ष रूप से वामपंथ से नहीं बल्कि आजादी ,लोकतंत्र का पक्षधर रहा हैं।
जिनपिंग बोले -संपूर्ण हैं एकीकरण का लक्ष्य
जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय एकीकरण के लिए इतिहास का पहिया आगे की ओर घूम रहा हैंं। जिनपिंग ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा कि देश के लिए संपूर्ण एकीकरण का लक्ष्य हासिल किया जाएगा। बता दे की चीन के तानाशाह हमेशा से हांगकांग व ताइवान पर अपना हक जताते रहे हैं। इससे पहले चीन कई बार उनको अवैध रूप से हासिल करने के लिए आक्रामकता दिखा चुका हैं ।
जिनपिंग की गीदड़भभकी पर ताइवान का जवाब
जिनपिंग के बयान के बाद ताइवान ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि वह अपनी स्थिति को लेकर सदृंढ हैं। ताइवान कभी भी अपनी लोकतंत्रता से समझौता नहीं करेंगा। ताइवान ने कहा कि युद्ध दोनों देशों के लिए कोई विकल्प नहीं हैं। ताइवान राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि वह चीन की हर हरकत पर बारीकी से निगाह रख रहा हैं।